होगा शिवयोग जैविक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम
इटारसी। शिव योग इंटरनेशनल फोरम इटारसी के तत्वावधान में शिवयोग जैविक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम 28 एवं 29 जुलाई शाम 4 से 6 बजे तक ठाकुरजी गार्डन न्यास कॉलोनी में किया जाएगा। आयोजन समिति की ओर से बताया गया है कि कार्यक्रम में बाबा डॉ. अवधूत शिवानंद जी किसानों के लिए शक्तिपात करेंगे। इससे उनको व्यवस्थित कृषि करने में मदद मिलेगी तथा फसलों में पौष्टिकता आएगी। आज के समय में इसकी महती आवश्यकता है।
आज अन्नदाता कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशक के कारण जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो चुकी है, खेती में आय से अधिक लागत लग रही है जिससे किसान आर्थिक संकट से घिरे हुए हैं। कई किसानों ने परिस्थितियों से हार मानकर जीवनलीला ही खत्म कर ली। रासायनिक खादों के इस्तेमाल से भोजन जहरीला हो चुका है जिस कारण तरह तरह की बीमारियां मनुष्य को जकडऩे लगीं हैं। ऐसे में इस गंभीर समस्या का हल निकालना वैज्ञानिकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। डॉ. अवधूत शिवानंद जी के अनुसार इस स्थिति से निपटने का एकमात्र उपाय है जैविक खेती, जिसे शिवयोग कृषि पद्धति भी कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस कृषि पद्धति ने देश की कमजोर पड़ती कृषि व्यवस्था में जान फूंक दी है। इसका ज्ञान हर किसान को हो इस हेतु जुलाई 28 एवं 29 जुलाई को पूरे देश में जगह-जगह शिवयोग कृषि पद्धति के नि:शुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इटारसी में ठाकुरजी गार्डन में यह आयोजन होगा।
उल्लेखनीय है कि डॉ. अवधूत शिवानंदजी शिवयोग मास्टर और कॉस्मिक साइन्टिस्ट हैं। शिवयोग कृषि पद्धति शून्य खर्च में अत्यधिक उत्पादन का एक तरीका है, यह एक दिव्य जैविक प्रक्रिया है, कीटनाशक और जहरीले रसायनों रहित खेती इसका मूल रूप है, किसान और उनके पशुधन के साथ खेती को भी स्वास्थ्य प्रदान करती है, दावा किया जाता है कि शिवयोग कृषि पद्धति, इसके अलावा कीट के संक्रमण से मुक्ति, नशामुक्त जीवन, प्राकृतिक बीजों की गुणवत्ता बढ़ाने, बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने, मिट्टी को केमिकल के जहरीले दुष्प्रभाव से मुक्त करने की यह प्रक्रिया है। इससे किसानों के जीवन मे बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। बंजर भूमि की भी उर्वरक क्षमता बढ़ गयी है। फ सलोत्पादन में वृद्धि से किसानों की आय दुगुनी-तिगुनी हो गयी है। कीटनाशक और रासायनिक खाद पर किसानों का काफी मात्रा में पैसा खर्च होता था, जो अब बचने लगा है जिससे किसानों की लागत स्वत: ही कम हो गयी है। साथ ही फसलो की पैदावार और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई है जिससे किसान खुश और संपन्न हो रहा है। रासायनिक खाद और कीटनाशक से मुक्त अनाज मिलने से सभी के स्वास्थ्य में भी सुधार हो रहा है, पर्यावरण की सुरक्षा में भी अप्रत्यक्ष रूप से सहायता मिल रही है। देश के हर क्षेत्र में हजारों ऐसे किसान हैं जो शिवयोग कृषि पद्धति अपनाकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला चुके हैं।