* राजधानी से पंकज पटेरिया :
अंततः प्रशासन के बहुतेरे आग्रह को अस्वीकार करते हुये महराज पुरुषोत्तमानंद स्वामी जी ने 3 दिन के लिए भूमिगत समाधि ले ली। स्वामी जी को प्रशासन ने भूमि के समाधि ना लेने के लिए अनेक बार निवेदन किया था, लेकिन स्वामी जी नहीं माने और उन्होंने समाधि ले ली। जानकारी के मुताबिक शुक्रवार सुबह 11:10 3 दिन 7२ घंटे के लिए समाधि ली है वह अष्टमी को सोमवार सुबह 10:00 बजे समाधि स्थल से बाहर आ गए। स्वामी पुरुषोत्तमनंद जी
को 7 फीट गहरे 4 फीट चौड़े और 6 फीट लंबे समाधि स्थल में लकड़ी के तखतनुमा आसान पर बैठाया गया महंत अनिल आनंद गिरि जी महाराज के साथ तीन महंत ने विधि विधान से पूजा अर्चना करके स्वामी जी को समाधि दिलाई। समाधि स्थल पर लकड़ियों की तख्तियां लगाई, फिर एक वस्त्र बिछाकर ऊपर मिट्टी फैला दी गई है। महाराज जी सुप्रसिद्ध टीटी नगर माता मंदिर के पीछे संचालित मां भद्रकाली बिजासन दरबार के आध्यात्मिक संस्था के संस्थापक हैं। अभी यहां दरबार में श्रीमद् भागवत कथा चल रही है। बड़ी संख्या में आस्थावान श्रद्धालु आ रहे हैं। स्वामी जी के पुत्र मित्रेश सोनी ने बताया पिताजी ने 5 दिन पहले अन्य त्याग दिया था वे केवल जूस ले रहे थे, उन्होंने 30 वर्ष पहले अनुष्ठान भी किया था। 24 घंटे महेश्वर में जल में खड़े रहकर भी जल समाधि ली थी।
महाराज जी का मूल नाम अशोक सोनी है। उनकी आयु 65 वर्ष है, उनके दो बेटे हैं। 30 साल पहले उन्होंने सन्यास लिया था और तब से माता मंदिर के पास ही टीटी नगर में दरबार लगा रहे हैं। वही आवास में श्वेतार्क आकुआं की जड़ के गणेश जी का मंदिर बना हुआ है। अकाव गणेश जी की महिमा अनंत है। श्वेतार्क गणेश जी प्रतिमा स्वयंसिद्ध होती है। बहरहाल लोगों ने बताया महाराज जी श्वेतार्क की जड़ बुधनी से लाए थे। और फिर यहां उन्हें बिराजा गया था। श्वेतार्क गणेश जी के दर्शन करने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। सोमवार महाराज जी भूमि समाधि से बाहर आएंगे।
60 साल पहले इटारसी में भी ली थी एक संत ने भूमि समाधि
नर्मदापुरम की तहसील इटारसी में भी करीब 60 वर्ष पूर्व एक सिद्ध संत थाने के पास स्टेशन स्कूल के सामने नर्सिंग सेंटर के पास जहां एक कुआं भी था, अब वहां मिष्ठान की दुकान आदि हैं। इस स्थान पर लगभग 60 वर्ष पहले एक अज्ञात संत श्री ने भूमिगत 5 दिन की समाधि ली थी। समाधि स्थल का चित्र आज भी मेरी आंखों में है। 5 दिन तक संत श्री भूमि में रहे थे। समाधि स्थल पर संकीर्तन चलता रहा था। 5 दिन बाद वह भू समाधि से ऊपर आए थे बड़े मंदिर के महंत जी नर्मदा प्रसाद सोनी सुकू भैया, खुशी लाल गौर, लीला भैया, लीलाधर अग्रवाल, एडवोकेट छैल बिहारी पांडे, कोटक जी, एन कुमार जी जैन शिखरचंद, पत्रकार प्रेम शंकर दुबे, साहित्यकार मनोहर पटेरिया मधुर आदि व्यक्तियों ने महाराज जी का स्वागत किया था। उस भावभीने दृश्य की सजल स्मृति आज भी मेरी आंखों में है।
राजधानी भोपाल में भी ली थी समाधि
भोपाल 1967 मैं जब यहां छात्र जीवन में रहता था। तब भी कमला पार्क के श्री हनुमान मंदिर में एक नागा संत ने भी 7 दिन की समाधि ली थी। समाधि के विषय में कहा जाता है, यह साधना की एक अत्यंत उच्च अवस्था होती है जिसमें साधक परम सत्ता से सीधे साक्षात्कार करता है। यहां उल्लेखनीय है नर्मदापुरम होशंगाबाद के प्रसिद्ध संत बाबा राम जी दास ने पूर्ण रूप से जीवित समाधि लेने के पूर्व 6 माह की भूमिगत समाधि ली थी। 6 माह बाद इस समाधि के बाहर आए थे और तब उनके नाखून आदि बढ़ गए थे। पूजा पाठ के बाद उन्होंने भक्तों से कहा था कि अब पूर्ण समाधि लेने का समय आ गया है। तदुपरांत उन्होंने सशरीर समाधि ली थी और अपने आप को ब्रह्म में लीन कर लिया था। संत श्री की समाधि रामजी बाबा की समाधि के रूप में आज भी वहां स्थित है और सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश दे रही है।
नर्मदे हर
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
सेक्टर सेक्टर 5, हाउस नंबर 55
ग्लोबल पार्क सिटी, कटारा हिल्स भोपाल
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