मकर संक्रांति: इस बार बन रहे हैं कई विशेष योग

इटारसी। इस बार संक्रांति का आगमन कई विशेष योग में हो रहा है। इस बार मकर संक्रांति सर्वार्थ सिद्धि योग में रविवार को आने से इसका महत्व और बढ़ गया है। शनिवार को रात 1.13 मिनट पर सर्वार्थसिद्धि योग लगेगा जो रविवार को सूर्योदय के समय तक रहने से दिवस पर्यंत माना जाएगा। इसके साथ ही गुरु और मंगल के तुला राशि में होने से परिजात योग भी बनेगा। परंपरागत भारतीय ज्योतिष के अनुसार खगोल मंडल के अधिष्ठाता भगवान सूर्य के राशि परिवर्तन के क्रम को संक्रांति कहा जाता है। सौर्य मंडल में 12 माह की 12 संक्रांति होती हैं जिसमें दो महासंक्रांति होती हैं। एक कर्क राशि प्रवेश और दूसरा मकर राशि प्रवेश। कर्क राशि पर सूर्य के होने से सूर्य दक्षिणायन होते हैं और मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं।
संस्कृत पाठशाला के प्राचार्य, आचार्य विकास शर्मा ने बताया कि माघ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, मूल नक्षत्र, सिंह लग्न और धु्रव योग के संयोग, शुभ फल प्रदान करने वाले हैं। यह कई राशि वालों के लिए बेहतर फलदायी साबित होगा। मकर संक्रांति के आगमन से धन धान्य में वृद्धि, समाज में प्रसन्नता एवं आर्थिक उन्नति के योग हैं। मूल नक्षत्र की संक्रांति में अच्छी वर्षा और कृषि की उन्नति होती है। सिंह लग्न में संक्रांति का आगमन होगा। इस स्थिर लग्न की संक्रांति सुख समृद्धि प्रदान करती है। संक्रांति के प्रवेश के बाद कुछ राशियों पर शुभ एवं कुछ जातकों पर अशुभ प्रभाव पड़ेगा।
मकर संक्रांति का वाहन भैंसा एवं सहायक वाहन ऊंट है। दही खाते हुए आएंगी, जबकि हाथों में पीला फल है। काले रंग की साड़ी और मृग चर्म की कंचुकी, नीलम का आभूषण, अर्क पुष्प की माला धारण किए हुए संक्रांति उत्तर दिशा की ओर से आ रही है और दृष्टि नैऋत्य कोण में है। उत्तर भारत में सुख सम्पन्नता एवं दक्षिण भारत में असंतोष व व्यग्रता का वातावरण रहेगा। संक्रांति पर्व का वाहन भैसा और उपवाहन ऊंट होने से व्यापारियों के लिए लाभदायक स्थिति निर्मित होगी।

मकर संक्रांति का महत्व…
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है। मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को दोपहर 1:45 बजे से प्रारंभ होगा जिसका स्नान,दान-पुण्य पर्व रविवार दिवस पर्यंत मान्य होगा।

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