एमजीएम कालेज प्रिंसिपल ने कल्चरल प्रोग्राम में जाने से रोका

इटारसी। शासकीय एमजीएम कालेज के बच्चों को कालेज के प्राचार्य ने भोपाल में होने वाले एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने से रोक दिया। बच्चे जिस वक्त भोपाल जाने के लिए बस में बैठ चुके थे, उनको प्राचार्य ने बस से उतार लिया और कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया। मामले को लेकर बच्चे सुबह ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा से मिले और पूरी जानकारी दी। विस अध्यक्ष ने कहा कि वे इस मामले की पूरी जानकारी लेकर ही आगे कोई कार्रवाई करेंगे। इधर प्राचार्य प्रमोद पगारे का कहना है कि भोपाल में एक प्रायवेट कालेज में उनका वार्षिकोत्सव हो रहा है। बच्चों को उसमें ले जा रहे थे। कोई शासकीय आदेश था नहीं, बच्चों को कैसे भेजते, जिम्मेदारी कौन लेता, इसलिए रोक दिया है।
संपूर्ण मामले को लेकर बच्चों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा से प्राचार्य को हटवाने की मांग की है। ऐसी ही एक मांग बच्चों ने एसडीएम से भी की है।
डॉ. शर्मा से मिलकर बच्चों ने कहा कि प्राचार्य बच्चों से अच्छा व्यवहार भी नहीं करते हैं आज भी बच्चे संत हिरदाराम इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट कालेज में इंटर कालेज चैम्पियनशिप में भाग लेने जा रहे थे। पिछले पंद्रह दिन से बच्चे इसकी तैयारी कर रहे थे, आज प्रोग्राम होना है, लेकिन प्राचार्य ने कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया और सुबह बच्चों को बस से उतारकर अभद्रता की। बच्चों का आरोप है कि प्राचार्य हमारी कला प्रतिभा में बाधा बन रहे हैं, प्रत्येक बच्चे के इस प्रोग्राम की तैयारी में करीब एक-एक हजार रुपए खर्च हुए हैं। कुल सत्रह बच्चों को प्राचार्य श्री पगारे ने प्रोग्राम में जाने से रोका है, इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

इनका कहना है…!
भोपाल में एक प्रायवेट कालेज का प्रोग्राम था, बच्चों ने अनुमति भी ले ली थी, बच्चे तैयार होकर आ गए थे, कुछ पैसे भी खर्च कर दिए थे। आज जाना था लेकिन प्रिंसिपल ने आकर रोक दिया और बस से उतार लिया, ऐसी शिकायत बच्चों ने हमसे आकर की है। बच्चों के विकास को रोकना ठीक नहीं है, वे यदि कॉन्फिडेंस से ऐसे किसी प्रोग्राम में शामिल होते हैं तो उनको जाने देना चाहिए। मैं संपूर्ण मामले की तह में जाकर पता कराऊंगा, फिर आगे जो कार्रवाई होगी की जाएगी।
डॉ. सीतासरन शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष

भोपाल में एक प्रायवेट कालेज का प्रोग्राम है, जैसे हमारे यहां वार्षिकोत्सव होता है। उसी कालेज के लोग ले जा रहे थे, इनकी जिम्मेदारी कौन लेता। शासकीय आदेश नहीं है, इसलिए हमारे कालेज से कोई प्रोफेसर जाने को तैयार नहीं था। बिना शासकीय आदेश कोई भी जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं होता है। हमने युवा पंचायत में बच्चों को भेजा, युवा उत्सव में बच्चे जाते हैं, शंकराचार्य के प्रोग्राम में गए। ऐसे में प्रतिभा को रोकने जैसे आरोप गलत हैं।
प्रमोद पगारे, प्राचार्य

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