पर्यावरण नियंत्रण की वैज्ञानिक पद्धति पर चर्चा

राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन
इटारसी। एमजीएम कालेज में प्राणीशास्त्र विभाग की राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी पर्यावरण संरक्षण की नवीन वैज्ञानिक पद्धति एवं प्रदूषण नियंत्रण विषय पर हुई। प्रथम सत्र में डॉ. अश्विनी वंगनु, विभागाध्यक्ष पर्यावरण विज्ञान, बरकतउल्ला विश्वपविद्यालय भोपाल ने मुख्य वक्ता के रूप में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्राथमिक स्तर पर कार्य करने पर जोर दिया। जवाहर लाल नहरू कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर, भोपाल मप्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन गणेश ने पर्यावरण संरक्षण की नयी पद्धति के रूप में अपने वैज्ञानिक शोध निष्कर्षों से जलकुंभी जैसे अनुपयोगी जलीय पादप से कैंसर के इलाज की संभावना बतायी तथा शोध से संबंधित दो पेटेंट भी कराए है। नागपुर विश्वविद्यालय से आये पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. सुरेश बी. घोलसे ने पर्यावरण संरक्षण के लिए वैकल्पिक उर्जा विभिन्न स्रोतों का उल्लेख करते हुए बताया कि उर्जा संरक्षण के द्वारा पर्यावरण संरक्षित किया जा सकता है।
शुभारंभ जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष, पंकज चौरे, प्राचार्य डॉ. पीके पगारे, विषय विशेषज्ञों, संयोजक डॉ. सुसन मनोहर, विभागाध्यक्ष प्राणीशास्त्र तथा संचालक डॉ. अर्चना शर्मा ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया। सरस्वती वंदना कु. राशि खाडे ने की। डॉ. सुसन मनोहर ने सेमिनार के उद्देश्यों को बताया। इस अवसर पर सेमिनार की स्मारिका का विमोचन किया गया ।

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मुख्य अतिथि डॉ.सीतासरन शर्मा ने तकनीकि सत्र में आयोजन के लिए प्राचार्य डॉ.पीके पगारे एवं प्राणीशास्त्र विभाग को बधाई दी। उच्च शिक्षा विभाग की योजना के अन्तर्गत सत्र 2015-16 में प्रवेशित स्नातक स्तर के 10 विद्यार्थियों को प्रतीक रूप में स्मार्टफोन का वितरण इस योजना का शुभारंभ किया। विभिन्न महाविद्यालय से आए शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र इस सेमिनार में प्रस्तुत किए जिसमें प्रमुख रूप से आयुषी, नाहिला सुजाद, शौकत अजीज, प्रदीप कुमार, बशरत आदि हैं। डॉ. प्रगति जोशी ने पक्षियों की जैव विविधता पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। सेमिनार के अंत में समूह चर्चा करते हुए डॉ. केएस उप्पल ने शोधपत्र वाचन एवं सेमिनार के निष्कर्षों को प्रस्तुत किया। डॉ. पगारे ने स्मृति चिन्ह भेंट किए। डॉ. अर्चना शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. व्हीके कृष्णा ने किया।

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