निज धर्म पर चलना सिखाती है रामायण : साध्वी प्रज्ञा

इटारसी। भारतीय धर्म संस्कृति के संवाहक गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान श्रीराम के मर्यादामय सांस्कृतिक जीवन के ग्रंथ रामायण की मानस स्वरूप में जो संरचना की है वह हमें अपने निज धर्म व सामाजिक धर्म पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती है। उक्त उद्गार साध्वी प्रज्ञा भारती ने श्री द्वारिकाधीश मंदिर परिसर में श्रीराम जन्मोत्सव के तहत चल रही श्रीराम कथा में व्यक्त किये।
श्री रामजन्म महोत्सव समिति इटारसी द्वारा आयोजित श्री राम कथा प्रवचन समारोह में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि रामायण तुम पढ़ते हो, राम तुम्हें भी बनना होगा। चलो श्री राम के चिन्हों पर अब इतिहास बदलना होगा।
अर्थात रामायण केवल पढऩे और सुनने का ही विषय नहीं अपितु जीवन में उतारने की भी अनिवार्यता होना चाहिये। तभी हम श्रीराम के समान अपने धर्म औैर सामाजिक कर्तव्यों की सार्थकता को पूर्ण कर सकेंगे।

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हनुमान रूपी महात्मा ही जीवात्मा को परमात्मा से मिला सकता है
कलियुग में हनुमान रूपी महात्मा ही जीवात्मा को परमात्मा से मिल सकता है। उक्त उद्गार प्रसिद्ध संत श्री महावीर दास ब्रह्मचारी ने ग्राम सोनतलाई में व्यक्त किये जहां चैत्र नवरात्र पर आयोजित श्री शतचण्डी महायज्ञ एवं प्रवचन समारोह में संतों ओर श्रोताओं का आध्यात्मिक मेला लगा हुआ है।
द्वितीय दिवस मे श्री हनुमान महाराज की उपासना दिन मंगलवार होने पर सोनतलाई में सभी प्रवचनकर्ताओं ने बजरंग बलि की महान गाथा का सुन्दर सकारात्मक वर्णन किया। संत श्री महावीर दास जिनका रूप रंग और व्यवहार शैली सब कुछ हनुमान जी के समान है। कहा जाता है कि उनकी परिवारिक स्थिति अत्यन्त धनाढ्य होने के बावजूद उन्होंने ब्रह्मचर्य जीवन अपनाया। बाल्य काल से ही वह हनुमान जी के सामान श्री राम भक्ति में लीन हो गये। ऐसे महान संत श्री महावीर दास ने आज अपने आराध्य श्री हनुमान जी का स्मरण इस चौपाई के साथ किया की।
मंगल मूरत मारूति नंदन सकल अमंगल मोल निकंदन। अर्थात जीवन के अमंगलों को कष्टो को जो जड़ से समाप्त कर दे, वही मंगल मूरती हनुमान है जिसके बारे मे ंतलुसीदास जी भी लिखते हैं कि सब सुख लही तुम्हारी शरण, तुम रक्षक काहू को डरना। अयोध्या की साध्वी उमा देवी ने कहा कि दुर्गम काज जगत के तेते, सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते, अर्थात कठिन से कठिन कार्य जो हो ही नहीं सकते, उन कार्यो को भी हनुमान जी महाराज पूर्ण कर देते हंै। कानपुर से आये आलोक मिश्रा, छतपुर के श्री राघवेन्द्र रामायणी एवं अनंत विभूषित श्री धीरेन्द्राचार जी महाराज ने भी श्री हनुमान जी की भक्ति के संासारिक महत्व से उपस्थित श्रोताओ को अवगत कराया।

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