मुर्गी पालन : बदली आदिवासी महिलाओं की तकदीर

Post by: Manju Thakur

इटारसी। होशंगाबाद जिले के केसला ब्लाक के 45 ग्राम की आदिवासी महिलाएं अपने शौक के लिए मुर्गी पालन करती थी। इससे उन्हें छोटी-छोटी आमदनी होती थी जिससे वे अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करती थी। इस शौक ने बाद में बड़े व्यवसाय का रूप ले लिया। आदिवासियों के बीच काम कर रही प्रदान संस्था ने इन आदिवासी महिलाओं को एकत्र कर समूह केसला पोल्ट्री फार्म के नाम से बनाया और इस समूह की सहायता की। पहले 200 से 300 महिलाएं ही मुर्गी पालन करती थी। आज विभिन्न छोटे-छोटे महिला समूहों में लगभग 1300 महिलाएं मुर्गी पालन कर रही हैं। महिलाएं आज घर से बाहर निकलकर सुखतवा चिकन नाम से मुर्गी पालन की मार्केटिंग का कार्य कर रही हैं। सुखतवा चिकन प्रदेश में जाना माना नाम है। भोपाल में ही इसकी 4 शाखाएं संचालित है। आज केसला पोल्ट्री फार्म कम्पनी का टर्नओवर 38 करोड़ रुपए सालाना है। कंपनी का अपना रिटेल ब्रॉन्ड सुखतवा चिकन भी है जो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। कंपनी की चेयर मेन 36 वर्षीय श्रीमती कुन्ती बाई धुर्वे है।

प्रधानमंत्री ने की सराहना
गत दिवस राजधानी दिल्ली में आयोजित किसान उन्नति मेला में कुंती बाई को आमंत्रित किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आदिवासी महिला समूह द्वारा किये जा रहे मुर्गी पालन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केसला के 45 गांव में एवं बैतूल के 10 गांव में आदिवासी महिलाएं मुर्गी पालन कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है और आत्मनिर्भर भी हो रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कुंतीबाई एवं उनके जैसे आदिवासी महिलाओं के मुर्गी पालन व्यवसाय की सराहना की। श्री मोदी ने सुखतवा चिकन मॉडल के बारे में विस्तार से कुंती बाई से जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी महिलाओं के मुर्गी पालन व्यवसाय कर आत्मनिर्भर होने की कहानी सुन वे बहुत प्रभावित हुए है।
श्रीमती कुंती बाई ग्राम जामन डोल की रहने वाली है, आसपास के सारे गांव आदिवासी बाहुल्य है और यहां रोजगार का अन्य कोई साधन ना देख महिलाओं ने स्वयं के छोटे-छोटे महिला समूह बनाए और मुर्गी पालन का व्यवसाय प्रारंभ किया। जामनडोल में 29 घरों में आदिवासी महिलाएं मुर्गी पालन कर रही है। सभी महिलाएं 600 से लेकर 1000 शेड तक में मुर्गी पालन कर रही है। 2001 में कंपनी की स्थापना की गई थी आज 17 वर्षों में कम्पनी का सालाना टर्नओवर 38 करोड़ रुपए हो गया है। स्वयं 10 वीं तक शिक्षित लेकिन आदिवासी बच्चों को उच्च शैक्षणिक सुविधाएं दिला रही है। उन्होंने समूह में शामिल सभी आदिवासी महिलाओं के बच्चों को उच्च शैक्षणिक सुविधाएं दिलाने में विशेष रुचि ली है। केसला पोल्ट्री फार्म समिति बच्चों की पढ़ाई के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर 20 हजार की राशि एवं बीमार होने पर इलाज के लिए 10 हजार की राशि मुहैया कराती है। प्रतिभाशाली बच्चों को भी प्रोत्साहित करने समिति हर वर्ष 10वीं कक्षा के प्रतिभाशाली बच्चों को 5-5 हजार रुपए की राशि एवं 12वीं कक्षा के बच्चो को 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देती है। समूह की सभी महिलाओं का स्वास्थ्य बीमा कराया गया है। बीमा की किश्त समिति देती है। कुंती बाई बताती है कि कैंसर एवं अन्य गंभीर बीमारी के इलाज की संपूर्ण व्यवस्था फेडरेशन द्वारा की जाती है और साल में दो बाद आदिवासी महिलाओ का फ्री में हस्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।

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