रैन बसेरा का दुरुपयोग रोका जाए

कर्मचारी नेता महेश आर्य ने की सीएमओ से मांग
इटारसी। रेलवे स्टेशन के सामने रैन बसेरा जिस उद्देश्य को लेकर बनाया गया था, उसका उसके लिए उपयोग नहीं होकर दुरुपयोग हो रहा है। रैन बसेरा में ऐसे लोगों को ठहराया जा रहा है, जो होटलों और लॉज में भी रुक सकते हैं, लेकिन महज बीस रुपए देकर वे रैन बसेरा में रात गुजार रहे हैं और जो निराश्रित, आश्रय विहीन लोग हैं, आज भी खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। इसका दुरुपयोग रोका जाना चाहिए।
यह मांग संभागीय कर्मचारी कांग्रेस के अध्यक्ष और पार्षद महेश आर्य ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी से की है। उन्होंने कहा कि यहां स्थानीय बेआसरा लोगों को आश्रय दिया जाना था, लेकिन बाहर से आने वाला यात्री यहां आकर रात गुजार रहा है, ऐसे लोग यहां रात रुक रहे हैं, जो होटल या लॉज में रुकने की आर्थिक क्षमता रखते हैं। इस तरह से रैन बसेरा का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनयूएलएम के अंतर्गत रेलवे स्टेशन के सामने बनाया रैन बसेरा के अलावा भी पहले एक रैन बसेरा बना है, सीएमओ अपने आफिस से उसकी जानकारी निकलवाएं कि आखिर उस रैन बसेरा का क्या हुआ और वह किस हाल में है। श्री आर्य ने कहा कि उनकी जानकारी में है कि रैन बसेरा के मेंटेनेंस और कर्मचारियों की तनख्वाह के लिए छह लाख रुपए मिलते हैं, लेकिन उन्होंने मेंटेनेंस व साफ-सफाई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि न तो इसके शौचालयों की सफाई हो रही है, ना ही रैन बसेरा के सामने की। यहां बदबू आती है और कचरा पड़ा रहता है।
सीएमओ अक्षत बुंदेला ने पार्षद महेश आर्य को आश्वस्त किया है कि वे स्वयं रैन बसेरा में जाकर देखेंगे कि वहां के हालात क्या हैं, और किन लोगों को ठहराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसे लोगों को हतोत्साहित करने के लिए 2 सौ रुपए किराए का प्रस्ताव दिया था, कि यदि आश्रय विहीन लोगों के अलावा कोई रैन बसेरा में रुकने की मांग करता है तो उसे यहां का दो सौ रुपए किराया बताया जाए ताकि वे यहां रुकने का विचार त्याग दे। लेकिन उसे स्वीकृति नहीं मिल सकी।

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