नर्मदा किनारे 68 ग्रामों में डाले 8 टन बीज

होशंगाबाद। अब नहीं तो फिर कभी नहीं। हो सकता है, हम हमें जीवन देने वाली मां नर्मदा को खो दें। जितनी श्रद्धा जन्म देने वाली मां के प्रति है, उतनी ही जीवन दायनी के प्रति रखकर अपनी इस मां को बचाने आज सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही सैंकड़ों कदम उठ चले थे, नर्मदा किनारे। आज नर्मदा का पुराना वैभव लौटाने उन्हीं बीजों को रोपा गया जो कभी यहां होते थे। ये न सिर्फ मां नर्मदा के वैभव लौटाने बल्कि ये औषधीय पौधे हैं जो वाकई जीवनदायनी को शक्ति प्रदान करेंगे और उस शक्ति से इसके किनारे रहने वाले ताकतवर होंगे।
नर्मदापुरम् संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव के जुनून को नर्मदा किनारे सम्मान मिला और उनके नेतृत्व को सलाम करते हुए सैंकड़ों लोगों ने मां नर्मदा के रिपेरियन जोन में नदी के पुनर्जीवन एवं मां नर्मदा के पुराने वैभव को वापस लाने बीजरोपण एवं श्रम दान किया। कार्यक्रम नर्मदा किनारे के सभी 68 ग्रामों में एक साथ किया।

फलदार और औषधीय पौधे रोपे
नर्मदा के रिपेरियन जोन में आज सुबह 6:30 बजे से प्रात: 7 बजे तक नर्मदा परिवार के सदस्य, मुखिया, स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारी, प्रस्फूटन समिति के सदस्य, जन अभियान परिषद के ब्लॉक समन्वयक, समाज सेवी, बीएसडब्ल्यू के छात्र, सभी नोडल अधिकारियों ने पहुंचकर विभिन्न वनस्पति पौधों के लगभग 8 टन बीजों का रोपा लगाकर श्रमदान किया। यहां जंगली तुलसी, गोखरू, गोशुर, गोरखमुंडी, स्वर्ण छीरी, अश्वगंधा, हरित मंजरी, भ्रंगराज, बथुआ, मांकोय, बाओची, कालमेघ, काला जीरी, वनभटा, अपराजिता, पोई, मालकांगनी, शिकाकाई, कुंदरू, मखेड़ी, पलास, रीठा, बबूल, शीशम, अर्जुन, साजा, अंजन, दुधि, कनेर, पीपल, बड़, नीम, जामुन, सीताफल, बेल, बहेडा, बारंगा, भटकटाई, रामफल, कबीट, गिलोये, बांस, नीबू, फुलबुहारी, सतावर, लोखंडी आदि के बीज लगाए गये।

कमिश्रर तीन जगह पहुंचे
कमिश्नर उमाकांत उमराव ने होशंगाबाद के हर्बल पार्क, खर्राघाट तथा सिवनी मालवा के भिलाडिय़ाखुर्द एवं उमरिया में बीजरोपण किया। कमिश्नर एवं कलेक्टर प्रियंका दास ने हर्बल पार्क में बेर, कंजी, बकुल, सुबबूल, हिंगोना, सागौन, रीठा, नंदनवन, ईमली एवं भटकटाई के बीजों का रोपण किया। बड़ी संख्या में पहुंचे स्कूली बच्चों, स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारियों, जन अभियान परिषद के ब्लॉक समन्वयक और ग्रामीणों ने सहभागिता निभाई। कमिश्नर ने कहा कि हमारे सामने हिमाचल प्रदेश का शहर शिमला एक उदाहरण है। वहां 5 दिनों से नलों में पानी नहीं आने के कारण स्कूल की छुट्टी कर दी गई है तथा सारा जनजीवन अस्त व्यस्त है। इस अवसर पर सीएमओ अमरसत्य गुप्ता, डॉ.बीएम मालवी, वीणापाणी समिति के सदस्य, लायंस क्लब के डीएस दांगी एवं बीएसडब्लू के छात्र मौजूद थे।

आगे आकर दे रहे हैं साथ
नगर पालिका अधिकारी ने बताया कि खर्रा घाट को हराभरा बनाने के लिए टीएमसी द्वारा तार फेंसिंग की जायेगी एवं सिख समाज ने खर्रा घाट को विकसित करने के लिए आगे आकर रुचि दिखाई। कमिश्रर के आह्वान पर लोग समझ गए हैं कि यदि हम आज बीजरोपण और आने वाले दिनों में पौध रोपण नही करेंगे तो एक समय ऐसा आयेगा कि हमे पीने के लिए पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले 7-8 वर्षों में नर्मदा में पानी कम होगा, इसे कोई नहीं रोक सकेगा। हम आज मां नर्मदा के अस्तित्व की रक्षा करने का कार्य करेंगे तो हमें मोक्ष की प्राप्ती होगी। हम कोशिश करें कि नर्मदा के पुराने वैभव लौटाया जाए। यदि एक बार असफल होंगे तो अगली बार जरूर सफल होगे। कमिश्नर ने कहा कि हमे माँ नर्मदा के पुराने वैभव को लाने में चार से पांच वर्ष का समय लगेगा।

इन जगहों पर किया बीजरोपण
आज नर्मदा नदी के 68 ग्रामों के रिपेरियन जोन में सभी लोगो ने उत्साह पूर्वक बीजरोपण किया और संकल्प लिया कि बीज से जब पौधे अंकुरित होंगे तो वे उसकी देखभाल करेंगे। नसीराबाद, बछवाड़ा घाट पर महिलाओं ने बीजरोपण किया। जब महिलाओं से पूछा कि उन्हें कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है मानो हम किसी भंडारे में आए हैं। ऐसा ही आनंद यहां आ रहा है। ग्राम पापन, तालनगरी, गौरा, लुचगांव, ग्वाड़ी, आंवलीघाट, उमरधा, आयपा, खोकसर, रेबा बनखेड़ी, डोंगरबाड़ा, बनखेड़ी, ईश्रपुर, धानसी, टिमरनी के ग्राम पंचायत छीपानेर, लाछोरा, गोंडागांव खुर्द, चांदला, सर्रा किशोर, कोडरबाड़ा, पामली, सहलबाड़ा, बाबरी, पाठा, बीकोर, माछा, उमरखेड़ी, मारागांव, गनेरा, रंढाल, हासलपुर, रामगढ़, खरखेड़ी, नानपा में भी उत्साह पूर्वक बीज रोपण किया गया।

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