भगवान से धर्म की रक्षा करने मत्स्यावतार लिया
होशंगाबाद।
मत्स्य पुराण की कथा में आचार्य पंडित अजय दुबे ने बताया की एक बार ब्रह्मा जी की असावधानी के कारण एक बहुत बड़े दैत्य ने वेदों को चुरा लिया था। उस दैत्य का नाम हयग्रीव था। वेदों को चुरा लिए जाने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। चारों ओर अज्ञानता का अंधकार फैल गया और पाप तथा अधर्म का बोलबाला हो गया। तब भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य धारण करके हयग्रीव का वध किया और वेदों की रक्षा की। भगवान ने मत्स्य का रूप किस प्रकार धारण किया।
उन्होंने बताया कि भगवान ने मत्स्यरूप धारण करके वेदों का उद्धार तो किया ही, संसार के प्राणियों का भी अमिट कल्याण किया। भगवान इसी प्रकार समय-समय पर अवतरित होते हैं और सज्जनों तथा साधुओं का कल्याण करते हैं।