ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति विक्रय एवं प्रदर्शन

इटारसी। आप जब दस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करेंगे और फिर अनंत चतुर्दशी को उनका विसर्जन करने जाएंगे तो आपको अपने भगवान की विदाई भारी मन से करनी पड़ेगी। लेकिन, यदि ऐसा हो कि आपके भगवान किसी अन्य रूप में पूरे वर्ष आपके साथ रहें और विसर्जन के दौरान हानिकारक रसायनों से नदी, तालाब या पोखरों का पानी भी प्रदूषित न हो तो निश्चित ही आपके मन को सुकून मिलेगा। इसी भावना को समक्ष रखकर परिवर्तन संस्था पिछले कुछ वर्षों से कार्य कर रही है। इस वर्ष भी संस्था ने मिट्टी के गणेश बनवाए हैं और उसमें विशुद्ध देसी रंगों का प्रयोग कराया है। संस्था ने आज गुरुनानक काम्पलेक्स के सामने स्टाल लगाकर इनका विक्रय और प्रदर्शन किया।
पर्यावरण सुधार के लिए कार्यरत संस्था परिवर्तन ने आज गुरूनानक काम्प्लेक्स के सामने ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति के विक्रय एवं प्रर्दशन का स्टाल लगाया। इन गणेश मूर्तियों की ख़ासियत यह है कि इनमें विशुद्ध देसी रंग का प्रयोग किया है, मिट्टी की इन मूर्तियों को लागत मूल्य पर ही दिया गया है। मूर्तियां गमलों में हैं, इन गमलों में तुलसी के पौधे लगे हैं और कुछ बीज भी डाले गए हैं। इनको ऐसा तैयार किया है कि अनंत चतुर्दशी को आप जल अर्पण करके गमलों में ही विसर्जन कर सकते हैं। आपको किसी तालाब या नदी, पोखरों में जाने की आवश्यकता नहीं है। गमलों में मिट्टी के साथ जैविक खाद है, हर रोज जल अर्पण करेंगे तो इनमें डाले गए बीज अंकुरित होकर पौधे बनेंगे। गणेश जी की मूर्ति भी गलकर गमले में ही रहेगी। यानी आपके गणेश पौधे के रूप में आपके पास ही रहेंगे। इससे नदी, पोखरों का जल प्रदूषित होने से हम रोक सकेंगे।
परिवर्तन संस्था के अखिल दुबे ने बताया कि मूर्तियां बनाने का परंपरागत काम प्रजापति समाज के कलाकारों का परंपरागत काम होता है, उनके इस कार्य में हस्तक्षेप न हो, इसलिए हमने उन्हीं कलाकारों से मूर्तियां बनवाकर बड़ी संख्या में क्रय की हैं। उन्होंने कहा कि हम यदि स्वयं मूर्तियां बनाएं और उनका विक्रय करेंगे या नि:शुल्क वितरित करेंगे तो निश्चित तौर पर हम प्रजापति समाज के अपने भाईयों के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। वे हर वर्ष ऐसे ही तीज त्योहार का इंतजार करते हैं, जब अपने परिवार के लिए कुछ राशि एकत्र कर सकें। ऐसे में हमें चाहिए कि हम उनसे ही मूर्तियां बनाकर उनको उनकी मेहनत का पैसा अदा करें और पर्यावरण बचाने के लिए अपनी ओर से जो प्रयास कर सकते हैं, वह करें।
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Sai Krishna1

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