मिट्टी की मूर्ति चाहने वालों को नहीं होना पड़ेगा निराश

इटारसी। इस वर्ष आपको यदि प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं नहीं मिले तो आश्चर्य नहीं बल्कि खुशियां मनाईये। खुशी इस बात के लिए कि, आपके भगवान की प्रतिमाएं दस दिन की भक्ति के बाद कई महीने तक पोखरों, नदियों में यूं ही नहीं पड़ी रहेंगी और जल प्रदूषण रोकने के लिए आपकी अपनी जिम्मेदारी भी पूरी हो जाएगी। दरअसल, इस वर्ष अब तक की जानकारी के मुताबिक शहर में पीओपी की प्रतिमाओं का निर्माण नहीं हो रहा है। ऐन वक्त पर कोई बाहर से मूर्तियां लाकर बेचेगा तो प्रशासन का चाबुक कितना जोर से लगेगा, यह देखने वाली बात होगी।
इस वर्ष गणेश उत्सव के लिए शहर में प्लास्टर ऑफ पेरिस की गणेश प्रतिमाएं कहीं नहीं बनायी जा रही हैं। शहर के सारे मूर्तिकार केवल मिट्टी से ही प्रतिमाएं बना रहे हैं। करीब दो दशक पूर्व मिट्टी उपलब्ध होने में परेशानी, बढ़ती मांग और समय की कमी के कारण प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाओं का चलन प्रारंभ हुआ था। ये प्रतिमाएं कम समय में सूखती और जल्द तैयार भी हो जाती हैं, इस कारण बड़ी मात्रा में ये चलन में आयीं। लेकिन, इनसे होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया और करीब तीन वर्ष से प्रशासन पीओपी की प्रतिमाओं पर पाबंदी के मामले में काफी सख्त भी हो गया है। पुरानी इटारसी में शहर के बड़े मूर्तिकार मुन्ना पेंटर का पूरा परिवार ही इस कार्य में जुटा है। उनका कहना है कि प्रशासन के आदेश का पूर्णत: पालन किया जा रहा है। हमने पीओपी की प्रतिमाओं का पूर्णत: त्याग कर दिया है, अब केवल मिट्टी की प्रतिमाएं ही बनायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वे ही नहीं शहर के सभी मूर्तिकार मिट्टी से ही प्रतिमाएं बना रहे हैं।
बता दें कि हिन्दुस्तान में गणेश उत्सव ही एक ऐसा उत्सव है जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना के साथ ही घरों में भी गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इस कारण प्रतिमाओं की संख्या सैंकड़ों में हो जाती हैं। इतनी बड़ी संख्या में प्रतिमा निर्माण और पूर्ण करना काफी मुश्किल भरा होता है, क्योंकि यह बारिश का दौर होता है और मिट्टी की प्रतिमाएं सूखने में वक्त लेती हैं। अब मूर्तिकार भी कम मात्रा में प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक शहर में करीब आधा दर्जन स्थानों पर ही मिट्टी से गणेश प्रतिमाओं का निर्माण हो रहा है। हालांकि मिट्टी से प्रतिमा बनाने में समय अधिक लगता है, इसलिए मूर्तिकार मुन्ना पेंटर के यहां इस वर्ष दो से ढाई सौ प्रतिमाएं हीं बन रही हैं, वह भी साधारण स्वरूप में। कोई विशेष झांकी नहीं बनायी जा रही हैं। मूल्यों की बात करें तो उनके यहां एक हजार रुपए प्रति फीट के मान से प्रतिमाएं बनायी जा रही हैं और तीन फीट से ऊंची प्रतिमा केवल आर्डर पर ही बनायी जा रही हैं।
बहरहाल, यह माना जाए कि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमाएं यदि बाजार में नहीं आयीं तो निश्चित मानिये कि इस वर्ष कम संख्या में गणेश प्रतिमाएं स्थापित होंगी। बाजार में भी मिट्टी की मूर्तियां कम होंगी तो दाम भी अधिक चुकानें होंगे। यदि आप गणेशोत्सव में घर में गणेश को आमंत्रित करना चाहता हैं तो अपना मन बना लीजिए कि जल्द से जल्द बाजार से अपने भगवान को घर ले जाएं, ताकि बाद में आपको गणेश प्रतिमा नहीं मिलने पर पछतावा न हो।

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