भारतीय किसान संघ ने केन्द्र और राज्य को घेरा

इटारसी। भारतीय किसान संघ के जिला स्तरीय धरना आंदोलन में यहां जयस्तंभ चौक पर जिलेभर के संगठन पदाधिकारियों ने केन्द्र और राज्य सरकार पर किसानों से भेदभाव करने के आरोपों के साथ किसानों से सजग होने की अपील की। किसान तू रहेगा मौन, तो तेरी सुनेगा कौन, टैग लाइन के साथ किसान संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि अधिकारियों की तानाशाही चल रही है तो नेताओं ने किसानों को वोट बैंक समझ रखा है। किसानों को अब भी सजग हो जाना चाहिए।
किसानों ने कहा कि अधिकारियों को समझ जाना चाहिए कि वे जनता के नौकर हैं, मालिक समझने की भूल न करें। किसान जागरुक हो रहा है। भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री संतोष पटवारे ने कहा कि किसान नेताओं और अधिकारियों की मंशा को भांप चुका है। फसलें बर्बाद हो रही हैं, किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। इटारसी और होशंगाबाद के किसानों को पिछले दिनों की सूची में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों को किसानों से कोई लेना देना नहीं है। इस वर्ष सामान्य से दोगुनी वर्षा हुई है, किसानों की फसल चौपट हो गयी लेकिन सरकारें किसानों का काम नहीं करके केवल प्रलोभन देती हैं। स्वामीनाथन आयोग की शिफारिश 2006 में लागू होना थी, तब कांग्रेस की सरकार थी और अब भाजपा की है। दोनों दलों की सरकारों ने अब तक कुछ नहीं किया। किसानों को बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाता है, अधिसूचित फसल के नाम पर किसानों को लूटा जा रहा है।
धरना आंदोलन के समापन पर किसान संघ ने एसडीओ राजस्व हरेन्द्र नारायण को एक ज्ञापन सौंपकर मांगें पूरी करने की मांग की तो एसडीओ ने आश्वस्त किया कि वे इन मांगों को सरकार तक पहुंचा देंगे, जो भी हल होगा सरकार की ओर से होगा। मीडिया से चर्चा में एसडीओ ने इसे आंदोलन मानने से ही इनकार करते हुए कहा कि यह किसान संघ की एक बैठक थी और उनको यहां ज्ञापन लेने आना था, वे ज्ञापन लेने आए हैं।

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