हमसब कठपुतली, कमान ऊपर वाले के हाथ : पं. नागर

इटारसी। वृंदावन गार्डन न्यास कालोनी में जारी श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक पं. नरेन्द्र नागर ने कहा कि हम सब इस रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ है। उन्होंने कहा कि सच्चे मित्र हों तो मुसीबतों का भी आसानी से सामना किया जा सकता है, नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के सच्चे आभूषण होते हैं, हताश न होना ही सफलता का मूल है, वही परमसुख है।
कथा के पांचवे दिन यहां पूतना प्रसंग के साथ ही गोवर्धन पूजा, 56 भोग का आयोजन किया गया। कथावाचक ने धन से अधिक रिश्तों की दौलत पर जोर देकर कहा कि मेरे पास कमाए हुए धन से ज्यादा दौलत, कमाए हुए रिश्तों की है। मैंने नोट नहीं अच्छे रिश्ते, अच्छे संबंध कमाए हैं। नोट खर्च हो जाते हैं, संबंध और रिश्ते कभी खर्च नहीं होते। वह मेरे हर दम साथ थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि सुख-साधन संपन्न व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं, लेकिन सौभाग्यशाली वह है, जिनके पास भोजन है और भूख भी है, सेज है, नींद भी है, धन है धर्म भी है। विशिष्टता है और शिष्टता भी है। संपत्ति है और स्वास्थ्य भी है, परिवार है और साथ में प्यार भी है। आप भी वास्तविक धनवान और सौभाग्यशाली रहें यही मेरी मंगल कामना है। एक दूसरे की मदद ही जीवन है, असली खुशियां हैं। इसे सदैव वितरित करें। अपने आप खुशी मिलती रहेगी।

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