अच्छी खबर-अब पाहनवर्री गांव बना रहा एक नयी पहचान

अच्छी खबर-अब पाहनवर्री गांव बना रहा एक नयी पहचान

Organic farming की ओर बढ़ रहा किसानों का रूझान
इटारसी। सब्जी उत्पादन के लिए जाना जाने वाला गांव पाहनवर्री अब इसी क्षेत्र में एक नयी पहचान बनाने की तरफ कदम बढ़ा चुका है। यहां कुशवाह समाज के लगभग 150 किसान सभी प्रकार की सब्जियों की खेती करते हैं। अब इनमें से करीब पचास किसान लगभग ढाई वर्ष पूर्व जैविक सब्जियों के उत्पादन की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं। इनको Organic vagetables उत्पादित करने के लिए प्रेरित किया है, आत्मा परियोजना के तत्कालीन संचालक एमएल दिलवारिया ने। आज ये किसान जैविक सब्जियों का उत्पादन करके न सिर्फ खुश हैं, बल्कि अच्छी आमदनी भी ले रहे हैं। खुद बीज तैयार करते, खुद कीटनाशक बनाते, खुद खाद भी बनाते हैं, इससे कम लागत में अच्छा मुनाफा होता है।
करीब ढाई हजार की आबादी वाले पाहनवर्री ग्राम में डेढ़ सौ किसान सब्जी का उत्पादन करते हैं। हालांकि ये किसान गेहूं, चावल, मूंग की फसल भी लेते हैं। लेकिन, सब्जी इनकी प्राथमिकता वाली फसल होती है। यह गांव करीब दो सौ सालों से सब्जी का उत्पादन कर रहा है, जबकि आजादी के बाद से यहां अधिक मात्रा में सब्जी उत्पादित की जा रही है। यहां के सवा सौ परिवार वाले कुशवाह समाज का मुख्य धंधा सब्जी की खेती ही है, यही उनकी आमदनी का जरिया भी है। गांव के वरिष्ठ किसान हरगोविन्द कुशवाह बताते हैं कि जैविक सब्जी के कारोबार में फायदा भी अच्छा है और यह न सिर्फ देखने में चमकदार होती है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक होने से इसकी मांग भी लगातार बनी रहती है। वे बताते हैं कि इन दिनों बढ़ रहीं नई-नई बीमारियों के कारण अब लोग रायासनिक खाद की सब्जियों से दूर होकर जैविक की मांग कर रहे हैं, अत: मांग बढऩे के कारण हमें जरूरत है कि और भी किसान अब जैविक सब्जियों के उत्पादन के लिए आगे आएं। उनका कहना है कि जैविक सब्जियों में कम लागत में अच्छा उत्पादन होता है और मुनाफा भी अच्छा होता है। किसान को केवल अच्छी मेहनत करने की मानसिकता से काम करना होता है।
organic cluster प्रारंभ कराने में अहम भूमिका निभाने वाले किसान रामकुमार कुशवाह का कहना है कि आत्मा परियोजना के अंतर्गत यहां जैविक कलस्टर बना तो इससे 50 किसान जुड़े और 40 किसान विशुद्ध जैविक तरीके से सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। वे स्वयं सीपीई और आर्डनेंस फैक्ट्री का बाजार करते हैं और जैविक की चाहत रखने वाले उनकी सब्जियों का इंतजार करते हैं। युवा किसान जितेन्द्र कुशवाह उन्होंने 2016-17 से जैविक खेती प्रारंभ कर दी थी लेकिन, 2018 में जैविक कलस्टर से जुडऩे के बाद काफी फायदा होने लगा। वे पूरे वर्षभर सब्जी का उत्पादन करते और पूरे वर्षभर रोजगार मिलता है।
ये समाज भी करते खेती
ग्राम पाहनवर्री में कुशवाह समाज शत-प्रतिशत सब्जी उत्पादन करता है। इसके अलावा कुछ कहार, आदिवासी, गोस्वामी और कुछ अनुसूचित जाति के लोग भी सब्जी का उत्पादन करते हैं। इस गांव में सब्जियां इतनी होती है कि आसपास के बाजार में सबसे अधिक खपत इसी गांव की सब्जियों से होती है। इसमें जैविक और रासायनिक प्रक्रिया से उत्पादित सब्जियां शामिल होती है।
यहां जाती है सब्जियां
ग्राम पाहनवर्री से हर रोज दो पिकअप, चार बड़े आटोरिक्शा भरकर सब्जियां, सब्जी मंडियों में भेजी जाती है। गांव के बलराम कुशवाह बताते हैं कि यहां से इटारसी, सीपीई बाजार इटारसी, आर्डनेंस फैक्ट्री, होशंगाबाद के अलावा राजधानी भोपाल में विट्टन मार्केट में भी भेजी जाती है। वे बताते हैं कि गांव में इतनी सब्जियां होती हैं कि सालभर यहां से सब्जियां विभिन्न मंडियों में भेजी जाती है।
दो सदी का इतिहास
बलराम कुशवाह बताते हैं कि कुशवाह समाज का यहां दो सदी से सब्जी उत्पादन का इतिहास है, जो उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना है। हालांकि लिखित दस्तावेज किसी के पास नहीं हैं, लेकिन, बुजुर्गों से यह सुनते आ रहे हैं। पूर्वज भी जैविक तरीके से ही सब्जी का उत्पादन किया करते थे। जब से रासायनिक खाद, कीटनाशक और अन्य तरीके ईजाद हुए तो किसानों ने इनका इस्तेमाल शुरु कर दिया है।

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AUTHORRohit

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