एक स्मरण: आज पानी गिर रहा है…

एक स्मरण: आज पानी गिर रहा है…

पंकज पटेरिया/होशंगाबाद। इन रिमझिम फूहारो के पानी बाले दिनों में बहुत पानी गिर रहा है। आज पानी गिर रहा है। घर की याद शीर्षक हमारे आपके मन्ना यानी की पंडित कविवर भवानी प्रसाद मिश्र की यह रचना सहज याद आजाती है, और आज भी कही पड़ते सुनते आंखो को भिगो देती है। यहां के एक गांव टिगरिया निवासी मन्ना भले दिल्ली में रहने लगे थे, लेकिन उनका मन इधर नर्मदांचल हो या इटारसी, होशंगाबाद, नरसिंहपुर में डोलता रहता था। यह कालजयी कविता उसी दौर की है जब उनका बड़ा परिवार नरसिंहपुर में रहता था,मन्ना जी बाहर दूसरे शहर मे।

बरसात के दिन शुरु हुए पानी गिरने लगा घर की याद आती है। बहाकी हालत माता पिता भाई बहन की मनोदशा आदि का अत्यंत भाव भीना चित्रण इस कविता में है। आम तौर परइस कविता को सुना ना मन्ना टा लदे ते थे। वजह मन्ना का गला रूंध ने लगता था आंखो से बरसात होने लगती थी, ओर श्रोता की आंखो से भीपानी गिरने लगता।

तो उनकी तकलीफ बड जाती थी। लिहजा। वह हंसते-हंसते मस्ती से कहते यार फिर कभी किसी सुनलो। कमब्खत बहुत आंसू गिराती है। होशंगाबाद में भी एक ऐसे भीगे प्रसंग की स्मृति मुझे है। मन्ना अपने अंदाज में कविता पड़ रहे थे, जब उस कविता में लौकी के बीज डालने का जिक्र आता है तो वातावरण बोझिल होने लगा सबकी आंखें गीली हो ने लगी थी। जैसे-तैसे कविता मन्ना ने समेटी, और दर्द आए तो ना-ना करो, दर्द आए तो बिछाओ चादर, फिर बैठाओ सादर आदि। सुनाने लगे अपनी खनख दार शेली में लोगे सामान्य हो गए। यह जादू भी मन्ना का था।
Pankaj Pateriya

                                                         पंकज पटेरिया(Pankaj Pateria) होशंगाबाद
                                                                Contect number- 9893903003

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!