आँगन में धूप और फुलवारी है बेटिया

आँगन में धूप और फुलवारी है बेटिया

आँगन में धूप और फुलवारी है बेटिया,

बिन मांगे जो पूरी हो जाये वी मुराद है बेटियां।
कुरान की आयत और गीता का सार है बेंटिया।
अंधेरे घर को जो रोशन कर दे वो दीपशिखा सी उदार है बेटियां।
घर की दीवाली और ईद है बेटियां।
बेटो से बढ़ता है कल आगे पर कुल को धागे में पिरोती है बेटियां।
सर्दी की गुनगुनाती धूप और बसंत बयार है बेटियां।
पावल की रिमझिम फुहार और शरद की दूधिया चांदनी है बेटियां।
बेटी को अब कमजोर ना समझे साथियों।
ज़िंदगी की सांझ में जब सब छोड़ जाते है तब सहारा बनती है बेटियां।

 

विनीत मालवीय

होशंगाबाद

CATEGORIES
TAGS
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus (0 )
error: Content is protected !!