कविता: अबकी होली कैसी होली…

कविता: अबकी होली कैसी होली…

अबकी होली कैसी होली
जब मिल न सकें हमजोली
होली है या रूसबाई
कोरोना की होली भैया
हमको रास ना आई।
होली पर्व है प्रेम प्रीत का
मन मे समाये मन मीत का
राधा कृष्ण के स्नेह गीत का
भांग मे डूबे फागुनी गीत का
राग द्वेष पर प्रेम जीत का
यह कैसी तनहाई
अबकी होली……।
होली पर्व है रंग गुलाल का
गौरी के गुलाबी गाल का
तिलक लगे उन्नत भाल का
ढ़ोल मंजीरे मृदंग ताल का
हुरियारो की मस्तानी चाल का
घर घर मे यह उदासी कैसी छाई
अबकी होली…….।
कोरोना का संकट आया
सारे जग को है भरमाया
नगर नगर मे मातम छाया
जन जन का है मन घबराया
बहिनों से बिछुड़े भाई
अबकी होली…….।
आ गया संकट तो क्या करें
शासकीय नियमों को मन मे धरे
अक्षरशः उनका पालन करे
होली पर बस घर मे रहें
जीवन है तो प्रेम युक्त बोली है
आते साल रंग बिरंगी होली है।

mahesh sharma

महेश शर्मा (Mahesh sharma), भोपाल

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