एडॉप्ट एन स्कूल अभियान : पूर्व छात्रों को जोड़कर संसाधन जुटाएंगे

एडॉप्ट एन स्कूल अभियान : पूर्व छात्रों को जोड़कर संसाधन जुटाएंगे

होशंगाबाद। बच्चों को स्कूलों में बेहतर शिक्षण माहौल मिले। सभी शासकीय शिक्षण संस्थाओं में सभी आवश्यक संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करें। इसके लिए एडॉप्ट एन स्कूल अभियान (Adopt N School Campaign) चलाकर एवं संबंधित स्कूलों के पूर्व छात्रों को जोड़कर आवश्यक संसाधन जुटाए जाएं।

यह निर्देश कलेक्टर होशंगाबाद नीरज कुमार सिंह (Collector Hoshangabad Neeraj Kumar Singh) ने जिला शिक्षा अधिकारी एवं सभी शाला प्रभारियों को दिए। कलेक्टर श्री सिंह ने बुधवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय (Collectorate Office) के सभाकक्ष में स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा एवं संबंधित विभागों के अंतर्गत संचालित कार्यक्रमों की विस्तार से समीक्षा की।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिले के स्कूलों में अध्यन कर अच्छे स्थान पर पहुंचे पूर्व छात्राओं की मीट (Meet) आयोजित कर उन्हें स्कूलों में आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए प्रेरित किया जाए। स्कूलों के विकास के लिए जरूरी संसाधनों की सूची भी एनआईसी (NIC) की वेबसाइट (Website) पर अपलोड कर उसे भुगतान मोड से भी जोड़ें ताकि समाजसेवी उसमें योगदान दे सकें। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाकर उन्हें इंटरनेट (Internet) एवं सोशल मीडिया (Social Media) के सदुपयोग एवं उनके दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जाए। बच्चों को इंटरनेट में ज्ञान अर्जन से जुड़ी विभिन्न वेबसाइट्स के बारे में जानकारी दें। साथ ही कृषि में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को कृषि विभाग से समन्वय कर रसायनिक उर्वरकों के दुष्परिणामों एवं संतुलित उर्वरकों के उपयोग से बेहतर फसल प्रबंधन के बारे में बताया जाए। साथ ही नरवाई न जलाने एवं नरवाई प्रबंधन के वैकल्पिक उपायों से बच्चों को अवगत कराएं।
कलेक्टर श्री सिंह ने निर्देश दिए कि जिले में शौर्य दल के माध्यम से छात्राओं को आत्मविश्वास और आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाए। परीक्षाओं के समापन के बाद विभिन्न खेल गतिविधियां भी आयोजित करें। जिले में बनाए वन चेतना केंद्रों का बेहतर उपयोग करें। उन्होंने कहा कि जिले में बच्चों के शैक्षणिक भ्रमण को और अधिक प्रभावी बनाया जाए। बच्चों के भ्रमण कार्यक्रम में विविधता लाएं ताकि वे नई नई जगह और उनसे जुड़ी जानकारियों से रूबरू हो सकें। आर्थिक कमजोरी के चलते शाला त्यागने वाले बच्चों की काउंसलिंग (Counseling) कर उन्हें शिक्षा से जोडऩे के प्रयास किए जाएं। उन्होंने जिले में गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों के आर्थिक सहायता के प्रकरणों का प्राथमिकता से निराकरण करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए।

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AUTHORRohit

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