नर्मदा किनारे अद्भुत ज्योर्तिलिंग, जहां नर्मदा करती हैं शिवजी का अभिषेक

Post by: Rohit Nage

इटारसी। शहर में इस समय सावन मास पर निंरतर धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। उसी कड़ी में परपंरानुसार भगवान शिव (Lord Shiva) का अभिषेक श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navagraha Temple) में मुख्य आचार्य विनोद दुबे (Vinod Dubey), सत्येन्द्र पांडेय (Satyendra Pandey), पीयूष पांडेय (Piyush Pandey) द्वारा विधि विधान से किया जा रहा है।

मुख्य आचार्य विनोद दुबे ने मध्यप्रदेश के पूर्व निमाड़ में स्थित ओंकारममलेश्वर ज्योर्तिलिंग ( Omkarammaleshwar Jyotirlinga) की कथा को विस्तार से बताया और भगवान शिव का पूजन अभिषेक अर्चना राजेन्द्र दुबे (Rajendra Dubey) से कराया। पं. विनोद दुबे ने कहा कि रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) ने बालकांड में लिखा है कि शिवप्रिय मेकल सेल सुता सी सकल सिद्धि सुख संपत्ति रासी। रामचरित मानस (Ramcharit Manas) की रामकथा शिवजी को नर्मदा के समान प्यारी है। यह सब सिद्धियों की तथा सुख की राशि है।

पं. विनोद दुबे ने कहा कि मध्यप्रदेश के मांधाता क्षेत्र में बड़वाह से 13 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र है, जहां की पहाडिय़ों का आकार ओम जैसा है। कई तीर्थ यात्री इस ओंकार पर्वत की भी यात्रा करते हैं। इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि जब दानवों ने देवताओं को निंरतर परेशान करना शुरू किया तो शिवजी यहां पाताल से आकार शिवलिंग रूप में प्रकट हुए।

उन्होंने कहा कि इस स्थान पर ब्रम्हा और विष्णु का वास भी है, उन्होंने यहां निवास किया हैं, विष्णुपुरी और रूद्रपुरी का त्रिपुरी क्षेत्र यही पर है। पुराणकाल का इतिहास बताते हुए पं. विनोद दुबे ने कहा कि इंद्र की कृपा से युवनाष्वपुत्र मांधाता यहां राज करता था। भगवान शिव की कृपा से मांधाता ने यहां अपनी राजधानी बनाई। इसीलिए इस तीर्थ स्थान को ओंकार मांधाता भी कहा जाता है।

महर्षि अगस्त की तपोस्थली भी ओंकारेश्वर रही है। यही पर आद्य शंकराचार्य ने नर्मदाष्टक की रचना की। परमार राजा ने भी यहां शिलालेख लगावाये। होल्कर रानी अहिल्या देवी ने यहां के ज्योर्तिलिंग मंदिर की मरम्मत और घाटो का निर्माण कराया।

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