रिपोर्ट – पुष्पेन्द्र रामकूचे :
इटारसी। गुजरे छह वर्ष में प्रशासन गांधी मैदान (Gandhi Ground), जिसे आज गांधी स्टेडियम (Gandhi Stadium) के नाम से जाना जाने लगा है, की वह दीवार नहीं बना सका, जो उसने खुद तोड़ी है। सवाल यह है कि जब प्रशासन से कोई चीज बनती नहीं तो उसे तोड़ा ही क्यों जाता है? गांधी मैदान की उत्तरी दीवार (North wall of Gandhi Ground) का बड़ा हिस्सा टूटने से इसकी सुरक्षा, सफाई को खतरा बढ़ गया है। टूटी दीवार के कारण यहां रात-दिन अनचाहे तत्व बैठे रहते हैं। इनमें कई बार असमाजिक तत्व भी होते हैं।
गांधी मैदान के चार गेट बंद होने का कोई अर्थ ही नहीं होता है, क्योंकि लोग टूटी दीवार से मैदान में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। दीवार निर्माण में हो रही देरी से खिलाडिय़ों में न सिर्फ नाराजी है, बल्कि उनका धैर्य भी अब जवाब देने लगा है। मैदान में मवेशी घुस जाते हैं, ऐसे में खिलाडिय़ों को प्रैक्टिस के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। मैदान की बाउंड्रीवाल निर्माण को लेकर खिलाडिय़ों ने दर्जनों बार जनप्रतिनिधि और नपा के अधिकारियों को आवेदन दिया है, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ अश्वासन मिल रहा है। वहीं मैदान देखभाल के आभाव के कारण जर्जर स्थिति में है।
जानें क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, प्रशासन ने करीब 6 साल पहले फटाके व्यापारियों को बाजार उपलब्ध कराने के दौरान सुरक्षा के नाम पर मैदान की बाउंड्री तोड़ दी थी। पटाखा बाजार की सुरक्षा के नाम पर जब यह दीवार तोड़ी थी, उस वक्त प्रशासन ने खिलाडिय़ों को पुन: बाउंड्रीवॉल (Boundary wall) कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन कई साल गुजर जाने के बाद भी अब तक स्टेडियम में बाउंड्रीवॉल नहीं हुई। हालांकि, मप्र सरकार ने प्रदेश के खेल मैदानों में अन्य गतिविधियों पर बैन लगा रखा है। मैदान की बाउंड्रीवॉल के लिए 6 साल पहले ही टेंडर निकल चुका है। मैदान की बाउंड्री निर्माण को लेकर खिलाडिय़ों ने दर्जनों बार जनप्रतिनिधि और नपा के अधिकारियों (Nagar Palika Itarsi) को आवेदन दिया है, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ अश्वासन मिल रहा है। वहीं मैदान में नाली की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण बारिश का पानी मैदान में भरा हुआ है। साथ ही शहर के पानी की निकासी भी स्टेडियम के अंदर जा रही है।
गांधी स्टेडियम (Gandhi Stadium) देखरेख का आभाव
स्टेडियम देखरेख के अभाव से भी गुजर रहा है। मैदान की देखभाल नहीं होने के कारण बैठने के स्थानों पर चारों तरफ गंदगी का पसरी हुई है। आलम ये है कि कोई भी दर्शक गंदगी के कारण थोड़ी देर स्टेडियम में बैठ नहीं सकता। इतना ही नहीं स्टेडियम में असामाजिक तत्वों का भी अड्डा बना हुआ है। जिसके कारण आम नागरिकों को स्टेडियम में डर बना रहता है। खिलाडिय़ों का कहना है कि पुलिस प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता जिसके कारण असामाजिक तत्वों का आना जाना बना रहा है।
नामी खिलाड़ी दिये मैदान ने
इटारसी के इस गांधी मैदान ने हॉकी खेल जगत को नामी खिलाड़ी दिये हैं। इनमें से वर्तमान में विवेक सागर प्रसाद भारतीय हॉकी टीम का सदस्य (Vivek Sagar Prasad Member of Indian Hockey Team) है। इसके साथ ही इंडिया प्लेयर दीपक जेम्स (Deepak James), अमित श्रीवास (Amit Shrivas) साउथ सेंटर रेलवे सिकंदराबाद, अभिषेक श्रीवास (Abhishek Shrivas) वेस्ट सेंटर रेल्वे जबलपुर, शिशिर दास (Shishir Das) मप्र पुलिस सहित अनेक कई नाम शामिल हैं।
इनका कहना है…!
स्टेडियम में नाली और बाउंड्रीवॉल निर्माण के लिए सैकड़ों बार ज्ञापन दिया है। लेकिन हर बार आश्वसन मिला है। अधिकारियों के निवेदन करने पर ही स्टेडियम की सफाई हो पाती है। प्रशासनिक अधिकारियों को राजनीतिक दबाव मिल रहा है, जिसके कारण निर्माण कार्य अटका पड़ा है।
कन्हैया गुरयानी, हॉकी कोच (Kanhaiya Gurayani, Hockey Coach)
बाउंड्रीवॉल निर्माण को लेकर फ्रेंड्स स्कूल और नगर पालिका के अधिकारियों को मिलकर निर्णय लेना चाहिए, जिससे खिलाडिय़ों की परेशानियों कम होंगी। साथ ही स्टेडियम भी सुरक्षित रहेगा।
सर्वजीत सिंह, वरिष्ठ खिलाड़ी (Sarvajit Singh, senior player Hockey)
स्टेडियम की बाउंड्रीवॉल निर्माण को लेकर कई बार अधिकारी मौके पर मुआयना करने पहुंचते हैं। लेकिन बाउंड्रीवाल का निर्माण कार्य नहीं कराते। बाउंड्रीवाल नहीं होने के कारण मैदान की प्राइवेसी खत्म हो गई है। आवारा मवेशी अंदर घुस जाते हैं।
जयराज सिंह भानू, वरिष्ठ खिलाड़ी (Jairaj Singh Bhanu, senior player Hockey)
ये कहते हैं अधिकारी
मेरे संज्ञान में पहली बार यह मामला आया है। जल्द मामले की जानकारी लेकर समस्या के निदान का प्रयास किया जाएगा।
सतीश राय, एसडीएम (Satish Rai, SDM Itarsi)