जैसे ही शिशुपाल की 100 गलती हुई कृष्ण ने उसका वध कर दिया

श्री द्वारिकाधीश मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम
इटारसी।
श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में 7 दिनों से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का यज्ञ हवन पूजन के साथ विश्राम हुआ। व्यासपीठ से आचार्य सुमितानंद ने सातवें दिवस की कथा में भगवान के 16 हजार 107 विवाह की कथा, जरासंध वध की कथा, शिशुपाल वध की कथा, दंत वक्र के वध की कथा, सुदामा चरित्र एवं परीक्षित मोक्ष कथा का श्रवण श्रोताओं को कराया।

यजमान श्रीमती निर्मला गौरी शंकर एवं राजेश अनिता सोनिया ने अंतिम दिवस हवन पूजन कर व्यास पीठ पर विराजित आचार्य श्री का सम्मान एवं श्रीमद्भागवत का पूजन अर्चन किया। रविवार को सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद पगारे एवं भूपेंद्र विश्वकर्मा ने आचार्य श्री का सम्मान किया। रविवार को अंतिम दिवस की कथा में आचार्य श्री ने उपस्थित जनसमुदाय से कहा कि आप बड़ी संख्या में 7 दिनों तक कथा श्रवण करने आए, ईश्वर आपका कल्याण करेगा। उन्होंने श्री द्वारिकाधीश मंदिर समिति कथा संयोजक घनश्याम तिवारी, दिनेश सैनी एवं समस्त मीडिया का आभार व्यक्त किया। आचार्य ने अपने अंतिम दिवस के उद्बोधन में कहा कि व्यक्ति जन्म से न तो अपराधी होता है और ना ही सज्जन होता है। वह एक सामान्य नवजात होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, उसके आसपास जो घेरा होता है, बालक से लेकर बुजुर्ग तक उसी घेरे में अच्छे और बुरे हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि अपने आसपास सज्जन लोग रखिए, धर्म समाज और राष्ट्र की चिंता करने वालों से विचार करिए, सनातन धर्म की रक्षा इन्हीं लोगों से हो सकती है। आचार्य श्री ने कहा कि शिशुपाल और जरासंध दोनों ही राक्षसी प्रवृत्ति के थे, इनकी कई गलतियों को ईश्वर ने क्षमादान दिया परंतु पाप अधिक बढऩे पर ईश्वर को इनका अंत करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जीवन में सुदामा को कृष्ण जैसा मित्र मिलना चाहिए। कृष्ण को भी सुदामा जैसा मित्र मिलना चाहिए। मित्रता गरीबी और अमीरी को देखकर नहीं आती। एक दूसरे के प्रति समर्पण इसका मुख्य कारण होता है।

आचार्य श्री ने राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाई और इस माध्यम से समाज को यह बताया कि छोटी सी गलती भी मृत्यु का कारण हो जाती है। परीक्षित ने अपनी गलतियों का पश्चाताप करने के लिए सुखदेव जी से 7 दिनों तक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया और अंत में मोक्ष प्राप्त किया। पंडित अतुल कृष्ण मिश्र ने समस्त श्रद्धालुओं आयोजकों एवं मंदिर समिति का आभार व्यक्त किया। पंडित पीयूष पांडेय ने श्रीमद् भागवत कथा का मूल पाठ का वाचन किया। हवन, आरती के पश्चात प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का विश्राम हुआ।

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AUTHORRohit

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