रोहित नागे, इटारसी
अब ईवीएम में कैद, मध्यप्रदेश की अगली सरकार मध्य प्रदेश में एक ही चरण में वोटिंग के बाद प्रदेश की भविष्य की सरकार अब ईवीएम में कैद हो गयी है। 3 दिसंबर को पता चलेगा कि प्रदेश की सत्ता कौन संभालेगा। यह भी पता चल जाएगा कि मतदाताओं ने वर्तमान भाजपा को ही निरंतर रहने का आदेश दिया है या फिर बदलाव की बयार में मतदाता बहे हैं। शिवराज या कमलनाथ, किसने मतदाताओं को रिझाया है, या दोनों में जरा सी कसर बाकी रही।
पूर्व के कई सर्वे में अलग-अलग राय देखने को मिली थी। किसी ने भाजपा तो किसी ने कांग्रेस और कहीं-कहीं तो निकटतम संघर्ष बताया था। बहरहाल, मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर 2,533 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य का फैसला मतदाताओं ने कर दिया है। अब तो सरकार की तस्वीर साफ होना बाकी है। 3 दिसंबर की तय तारीख को दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। इस चुनाव में माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस के बीच मुकाबला रोचक है।
मतदाताओं ने जिस उत्साह से मतदान किया है, उसने लोकतंत्र में मिली अपनी जिम्मेदारी निभाई है। 230 विधानसभा सीटों में से बहुमत पाने के लिए किसी भी दल को 116 का जादुई आंकड़ा पाना जरूरी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कोई भी दल इस आंकड़े तक नहीं पहुंच सका था।
यदि मोदी के मन में मध्य प्रदेश है तो 3 दिसंबर को पता चल जाएगा। इतना अवश्य है कि मतदान के प्रतिशत से यह साफ हो गया है कि इस बार इतिहास बनने वाला है। किसी दल को दो तिहाई बहुमत मिलेगा या फिर मामूली अंतर से किसी दल की सरकार बनेगी। दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने पक्ष में दावे करते आए हैं। इन दावों पर मतदाताओं ने कैसी मुहर लगायी है, 3 दिसंबर को पता चल जाएगा।
इस बार माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम महिला मतदाताओं के रुझान पर केंद्रित रहेगा। लाड़ली बहनों का प्यार भैया शिवराज पर रहा तो भाजपा की सरकार बनना तय है और यदि नारी ने सम्मान की चिंता करते हुए कांग्रेस को पसंद बनाया तो कमलनाथ सत्ता पर काबिज होंगे। यह बात तय है कि 2023 का दारोमदार आधी आबादी यानी महिलाओं के कंधों पर टिका है।
अब केवल इंतजार 3 दिसंबर का है, जब मध्य प्रदेश की भावी सरकार ईवीएम से बाहर आएगी। इसके लिए 15 दिन का इंतजार करना पड़ेगा।
रोहित नागे, इटारसी
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