इस दिन पिंडदान और तर्पण से पितरों को मिलता है तीर्थ श्राद्ध का फल
हर साल पितृ पक्ष में अलग-अलग तिथियों के साथ बनता है भरणी नक्षत्र का संयोग, इस बार चतुर्थी पर बन रहा है ये योग
इटारसी। इन दिनों पितृ पक्ष (Pitra paksh) चल रहा है और इसमें आने वाला महाभरणी श्राद्ध 24 सितंबर को किया जाएगा। पितृ पक्ष के दौरान आने वाले भरणी नक्षत्र में ये श्राद्ध होने से इसे महाभरणी श्राद्ध कहा जाता है। ग्रंथों में कहा गया है कि भरणी श्राद्ध का फल गया तीर्थ में किए गए श्राद्ध के समान ही है। इसीलिये इस शुभ संयोग पर जरूर श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा माना जाता है कि भरणी नक्षत्र के संयोग में चतुर्थी या पंचमी तिथि को पैतृक संस्कार करना बहुत ही खास होता है। महालया के दौरान ये दिन सबसे खास माना गया है।
भरणी नक्षत्र के स्वामी हैं यम
पितरों के पर्व में भरणी श्राद्ध को बहुत खास माना गया है। अग्नि और गरुड़ पुराण के मुताबिक इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध करने से उन्हें तीर्थ श्राद्ध का फल और सद्गति मिलती है। भरणी नक्षत्र में किए गए श्राद्ध से यम प्रसन्न होते हैं। इससे पितरों पर यम की कृपा रहती है। जिससे पितृ संतुष्ट होते हैं।
पुरी और काशी के विद्वानों का मत
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि भरणी नक्षत्र के स्वामी स्वयं यमराज है, जो मृत्यु के देवता है। यही कारण है कि श्राद्धपक्ष में भरणी नक्षत्र खास महत्व रखता है। कई लोग अपने जीवन में कोई भी तीर्थ यात्रा नहीं कर पाते। ऐसे लोगों की मृत्यु होने पर उन्हें मातृगया, पितृगया, पुष्कर तीर्थ और बद्रीकेदार आदि तीर्थों पर किए गए श्राद्ध का फल मिले, इसके लिए भरणी श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में चतुर्थी, पंचमी और कभी-कभी तृतीया तिथि के साथ भरणी नक्षत्र का संयोग बनता है। इस संयोग में पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण करने से पितरों को सद्गति प्राप्त होती है।
भरणी श्राद्ध का समय
जिस तरह कोई भी श्राद्ध कुतुप वेला और अपराह्न काल में किया जाता है। वैसे ही भरणी श्राद्ध भी इन्हीं मुहूर्त में करना चाहिए। ये शुभ समय दिन का आठवां मुहूर्त होता है। जो कि 48 मिनट का होता है। 24 सितंबर को ये शुभ समय सुबह तकरीबन 11:26 से 12:34 तक रहेगा। शुक्रवार को भरणी नक्षत्र सुबह 9 से शुरू होगा और अगले दिन यानी 25 सितंबर को सुबह तकरीबन 11.30 तक रहेगा।