सावधान! आपके खातों पर नजर है, सायबर अपराधियों की

इटारसी। रेलवे स्टेशन के सामने स्थित गोठी धर्मशाला में हेल्पेज इंडिया विशेषज्ञों ने उम्रदराज लोगों को सायबर क्राइम के प्रति सावधान किया। वरिष्ठ नागरिक मंच के आधा सैंकड़ा से अधिक सदस्यों ने धैर्यपूर्वक उनकी बतायी बातों को सुना और उन पर अमल करने के प्रति आश्वस्त भी किया। हेल्पेज इंडिया की ओर से जिला कॉर्डिनेटर सविता मालवीय और राकेश दांगी ने कई महत्वपूर्ण जानकारी देकर वरिष्ठ नागरिकों को सचेत किया। सविता मालवीय ने हेल्पेज इंडिया के कार्यों की जानकारी प्रदान की।
इस अवसर पर सिटी थाने से उपनिरीक्षक विवेक यादव, नगर पालिका में स्वास्थ्य समिति सभापति राकेश जाधव, पूर्व पार्षद हरप्रीत सिंघ छाबड़ा, एमजीएम कालेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य कश्मीर सिंह उप्पल, वरिष्ठ नागरिक मंच के अध्यक्ष एनआर अग्रवाल, सचिव डॉ. विनोद सीरिया, एनपी चिमानिया, विजय मंडलोई, राजकुमार दुबे, डॉ. ज्ञानेन्द्र पांडेय, सुरेन्द्र सिंह तोमर, जयप्रकाश अग्रवाल, सुनील बाजपेयी, हेमंत भट्ट, मोहन पटेल, मूरत सिंह राजपूत, केके गुप्ता, राजेन्द्र दुबे, उषा चिमानिया, आशा अग्रवाल सहित अन्य अनेक सदस्य उपस्थित रहे।

जानकारी शेयर न करें

राकेश दांगी ने कहा कि यदि आपका एटीएम कार्ड कहीं उपयोग होता है तो आपके पास ओटीपी आएगा, फोन हेक होने पर भी ओटीपी आता है, आप किसी भी हाल में ओटीपी शेयर न करें। इसके अलावा आपकी खाता संबंधी कोई भी जानकारी शेयर न करें। फ्रॉड करने वाले हमारी सोच से कहीं अधिक आगे होते हैं। हमें हर पाल सचेत रहना होगा। अपने मोबाइल का प्रयोग काफी सतर्कता से करें, किसी भी लॉटरी, बम्पर ड्रॉ जैसी लुभावनी बातों में न आयें। कोई भी लिंक आती है, उसे न खोलें, अनाधिकृत एप्लीकेशन डाउनलोड करने से बचें, जिसके विषय में आप जानते ही नहीं हों।

सोशल मीडिया में जानकारी शेयर न करें

कई लोग फेसबुक पर अपनी ढेर सारी जानकारी रखते हैं, यह जोखिम भरा हो सकता है, इससे बचें और सोशल मीडिया पर अपनी, अपने परिवार की फोटो, फोन नंबर सहित अन्य जानकारी शेयर न करें। इनसे दूरी बनाकर रखें। ठगों के पास आपकी जानकारी पहुंचेगी तो वे आसानी से आपको शिकार बना सकते हैं। सीनियर सिटीजन इन लोगों के सबसे आसान शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि केवायसी कभी ऑनलाइन नहीं होती है, कोई फोन करके केवायसी करने को कहता है तो उसे नकारें, बैंक केवायसी के लिए फोन नहीं करती, आपको स्वयं बैंक जाकर केवायसी कराना होता है।

पैसा खाते में आने पर क्लिक नहीं होता

उन्होंने स्पष्ट किया कि ठग आपको लॉटरी लगने का लालच देकर जीत की रकम आपके खाते में डालने के लिए प्रलोभन देता और आपको कोई लिंक भेजता और उसे क्लिक करने को कहता है तो कतई न करें, क्योंकि आपके खाते में पैसा आने के लिए कोई क्लिक नहीं करना होता है, यदि पैसा जमा होता है तो सीधा खाते में ही आता है। खाता बंद होने का भय दिखाकर ओटीपी या अन्य जानकारी के लिए वैरीफिकेशन शब्द का इस्तेमाल करते हैं, कतई ओटीपी या अन्य जानकारी ऐसे ठगों को न दें। वाट्स अप पर कोई लिंक आए, उसे न खोलें, बल्कि उस नंबर को तत्काल ब्लॉक कर दें।

दो खाते रखकर सुरक्षित रह सकते

आप दो अलग-अलग बैंकों में खाता रख सकते हैं। एक पर कम पैसा रखें जिसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए उपयोग करें, दूसरे खाते में जमापूंजी रखें और उसको ऑनलाइन न रखें बल्कि मैन्युअली यूज करें। स्वयं बैंक जाएं, और अपने मासिक खर्च या अन्य बड़े खर्च के लिए पैसा निकालें। यह भी एक सुरक्षित तरीका हो सकता है। आप ऑनलाइन बैंकिंग में बड़े अंकों का पासवर्ड रखें, यह हेक करने में कठिन होता है। अपने मोबाइल में कभी पासवर्ड दर्ज करके न रखें। उन्होंने बताया कि सायबर फ्रॉड करने वालों का शिकार देश में हर 48 सैकंड में एक व्यक्ति हो रहा है।

चार लोगों की टीम होती है

उपनिरीक्षक विवेक यादव ने बताया कि सामान्यत: ऐसी ठगी करने वालों की चार लोगों की टीम होती है। पुलिस के पास भी इस तरह के कॉल आते हैं। कभी सिम आसाम की होती है, कॉल राजस्थान से होता है, खाते में पैसा कन्याकुमारी में जाता है और पैसा दिल्ली के एटीएम से निकाला जाता है। हमें ऐसे मामलों में एक हफ्ता तक लग जाता है। जब खाताधारक से पूछते हंै तो उसे पता ही नहीं होता है कि उसके खाते का यूज हो रहा है। यह सब बातें उन्होंने अपने एक केस के विषय में बतायी। श्री यादव ने कहा कि ऐसी ठगी से बचने के लिए कोशिश करें कि बहुत अधिक आवश्यक होने पर ही मोबाइल का प्रयोग करें, अन्यथा स्वयं बैंक जाकर मैन्युअली काम करें, क्योंकि सायबर क्राइम तकनीकि माध्यम से ही होता है। बैंक जाकर आप स्वस्थ भी रहेंगे और घर में बोर होने से अच्छा अपने मित्रों से भी मिल सकेंगे।

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AUTHORRohit

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