बहुरंग: एक अनवरत यात्रा

Post by: Poonam Soni

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विनोद कुशवाहा/ देश के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार तथा मुंबई महानगर में राजभाषा के प्रमुख स्तम्भ मध्य रेलवे के उपमहाप्रबंधक (राजभाषा) विपिन पवार को रेलवे बोर्ड के अवर सचिव अनुराग त्रिपाठी ने निदेशक (राजभाषा), रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली के पद पर नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि विपिन पवार की शिक्षा इटारसी में हुई। इटारसी के रेलवे स्कूल से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले वे प्रथम छात्र रहे हैं। उन्होंने सागर विश्वविद्यालय (मध्यप्रदेश) से प्रथम श्रेणी में एम ए (हिंदी) भी किया। साथ ही विपिन पवार ने सम्पूर्ण विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। मराठी, हिंदी, अंग्रेजी आदि भाषाओं पर उनका पूर्ण अधिकार है। वे छात्र जीवन में कुशल वक्ता भी रहे हैं। आज भी हैं। महाविद्यालयीन शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने पत्रकारिता से अपनी यात्रा शुरू की। इटारसी , नसरुल्लागंज, नरसिंहगढ़, नागपुर, मुंबई में विभिन्न पदों एवं विविध कार्यक्षेत्रों में सफलता पूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए विपिन पवार इस महत्वपूर्ण पद पर पहुंचे हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में विपिन पवार का चयन संघ लोक सेवा आयोग से प्रथम श्रेणी के वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी के पद पर हुआ था।

वे आज भी इटारसी के प्रति गहरा लगाव महसूस करते हैं। यहां तक कि शहर की हर शख़्सियत से उनका जुड़ाव रहा है। इटारसी के जिन स्थानों में विपिन पवार रहे वे उन्हें हमेशा आकर्षित करते रहे हैं। पुण्य सलिला माँ नर्मदा भी उनके अंदर आध्यात्मिक भाव उत्पन्न करती रही। पूर्व में इटारसी उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता था लेकिन बावजूद इसके वे इटारसी आते रहे हैं। प्रसन्नता का विषय ये है कि रेलवे बोर्ड में निदेशक का पद सम्हालने के बाद सम्पूर्ण भारत के साथ-साथ अब इटारसी भी उनके कार्यक्षेत्र में सम्मिलित् रहेगा।

विपिन पंवार 12 वर्ष की आयु से निरन्तर लेखन कर रहे हैं। देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख, कहानियां, साक्षात्कार, रिपोर्ताज, यात्रा वृतांत, कविताएं एवं अनुवाद ससम्मान प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘सृजन ‘व” अतीत की पगडंडियां” (आत्मकथा) का संपादन किया है। भारतीय रेल की रेल दर्पण, ज्ञानदीप, इंद्रायणी, कोयना, रेल सुरभि, उड़ान सहित तमाम पत्रिकाओं का भी विपिन पवार ने संपादन किया है। विगत् दिनों उनके प्रकाशित निबंध संग्रह ‘शब्दों के परे ‘तथा  अक्षरों की मेरी दुनिया” चर्चा में रहे हैं। इसके अतिरिक्त समय – समय पर आकाशवाणी भोपाल, इंदौर, नागपुर आदि से उनकी रचनाओं का प्रसारण भी होता रहा है। वे इस सबका श्रेय अपनी माँ तथा धर्मपत्नी एवं बेटियों को देते हैं । हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं ।

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