बहुरंग: इटारसी में भी खुले मेडिकल कॉलेज

विनोद कुशवाहा/ होशंगाबाद जिला शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर पिछड़ता चला गया। जनप्रतिनिधियों ने भी इसकी सुध नहीं ली। एक अदद इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए हम तरसते रहे और उधर हमारे होनहार बच्चे भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रींवा, सागर, ग्वालियर के बीच भटकते रहे। होशंगाबाद में तो फिर भी होम साइंस कॉलेज, लॉ कॉलेज, बीएड कॉलेज शुरू से उपलब्ध रहा। इधर हमारे बच्चे स्नातकोत्तर शिक्षा तक से लंबे समय तक वंचित रहे। अभी भी कुछ विषय ऐसे हैं जिनमें स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए हमारे बच्चों को होशंगाबाद की तरफ दौड़ना ही पड़ता है। इसकी भरपाई कौन करेगा? हमारे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि? जिनको बार-बार चुन कर हम भेजते रहे और बाद में पछताते रहे। कितना कुछ होशंगाबाद जिले को मिल सकता था लेकिन कमजोर जन प्रतिनिधियों की वजह से हम उससे वंचित रह गए। कुछ बीना के हिस्से में चला गया तो कुछ दूसरे जिलों को खैरात में मिल गया। हम टापते रह गए। हम पहले भी अपने सांसद को संसद में देखने को तरसते थे और आज भी तरसते हैं। कोई विरोध करने का साहस नहीं जुटाता। पेट्रोल 100 के पार जा रहा है। क्या यही अच्छे दिन हैं? खैर। प्रदेश में छह नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं जो क्रमशः राजगढ़, मंडला, श्योपुर, सिंगरौली, नीमच और मंदसौर में खुलेंगे। अगले सत्र से छात्रों को इन कॉलेजों में प्रवेश भी मिल जाएगा। इन मेडिकल कॉलेजों के खुलने के बाद पांच वर्ष पश्चात लगभग तीन हजार डॉक्टर हर वर्ष प्रदेश को मिलेंगे। क्या इससे प्रदेश में डॉक्टरों की कमी पूरी नहीं होगी? वो सब छोड़िये क्या ये मेडिकल कॉलेज इटारसी में नहीं खुल सकते थे? जबकि विदिशा, शिवपुरी, शहडोल, छिंदवाड़ा, खंडवा, दतिया, रतलाम जिलों तक में मेडिकल कॉलेज खोले जा चुके हैं।
जनप्रतिनिधि तो कभी विधानसभा अथवा लोक सभा में आवाज उठायेंगे नहीं। दोनों दलों के छात्र संगठन भी जय स्तम्भ पर फोकट के तमाशे करते रहते हैं। ये नहीं कि इटारसी में मेडिकल कॉलेज के लिए भोपाल से दिल्ली तक लड़ाई लड़ें। जनप्रतिनिधियों पर दवाब बनायें। … लेकिन नहीं सब अपनी अपनी गोटी फिट करने के चक्कर में रहते हैं।
कोई पार्षद बनने के ख्वाब देख रहा है तो कोई अध्यक्ष बनने के सपने देख रहा है। कोई किसी विभाग में विधायक प्रतिनिधि बनकर खुश है तो कोई सांसद प्रतिनिधि बनकर फूले नहीं समा रहा। कुछ तो शर्म करो यार।
भविष्य में केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के छोटे जिलों में भी मेडिकल कॉलेज खुलने की संभावना है। इससे न केवल मेडिकल छात्रों के लिए अवसर खुलेंगे बल्कि मरीजों को भी इसका लाभ मिलेगा।
तो सोच क्या रहे हैं। होशंगाबाद तो बड़ा जिला है और इटारसी सबसे बड़ा जंक्शन। अपने अपने स्तर से कोशिश करें। प्रयास करें। आवाज उठायें कि इटारसी में भी मेडिकल कॉलेज खुले। तभी हमारी सक्रियता की सार्थकता होगी। भले ही वह किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो। अन्यथा सब बेकार है। व्यर्थ है।
विनोद कुशवाहा