बसंत पंचमी : इस दिन बन रहे हैं दो शुभ योग
होंगे सैकडों वैवाहिक आयोजन
इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल के पुजारी पं. रामजीवन दुबे ने बताया कि माघ शुक्ल पक्ष बसंत पंचमी (Basant Panchami) शनिवार 5 फरवरी पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस तिथि पर देवी सरस्वती की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यता है कि बंसत पंचमी तिथि पर मां सरस्वती की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होती है। बसंत पंचमी के त्योहार को सरस्वती पूजा, वागीश्वरी जयंती, बसंत उत्सव आदि कई नामों के साथ मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ही बुद्धि, ज्ञान और विवेक की जननी माता सरस्वती प्रकट हुई थीं, इस कारण से हर वर्ष उत्साह के साथ देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा विशेष फल देने वाली मानी गई है। सिद्ध, साध्य और रवि योग में सरस्वती मां की पूजा आराधना करने से शुभ फल प्रदान होगा।
बसंत पंचमी से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मांड में कार्य और ज्ञान के बीच संतुलन बनाने के लिए माता सरस्वती का उद्भव हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्माजी की मूक रचना बिना आवाज के उदास हो गई थी। ऐसे में बसंत पंचमी के दिन ब्रह्माजी ने देवी वागेश्वरी के दर्शन किए और देवी ने अपनी वीणा के स्वर से सृष्टि को मधुर वाणी से परिपूर्ण कर दिया।
बसंत पंचमी पर हो रहा है दो शुभ योग का निर्माण
बसंत पंचमी के दिन बहुत से शुभ योग का निर्माण हो रहा है। बसंत पंचमी के दिन पहला योग सिद्ध नाम शुभ योग है जो देवी सरस्वती के उपासकों को सिद्धि और मनोवांछित फल देता है। इसके साथ ही सरस्वती पूजा के दिन रवि नामक योग भी बन रहा है, जो सभी अशुभ योगों के प्रभाव को दूर करने वाला माना जाता है। यह दोनों योग विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए फलदायी सिद्ध होगा।
इन शुभ योग में छात्र करें सरस्वती पूजा
बसंत पंचमी के दिन सिद्ध या रवि शुभ योगों में विद्यार्थी यदि पूरे मन से मां सरस्वती की पूजा करें तो उन्हें मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होगी। छात्र प्रात: 07: 07 मिनट से लेकर दोपहर 12:35 मिनट के बीच देवी सरस्वती की आराधना कर सकते हैं। इस शुभ योग में संतान की शिक्षा शुरू करना भी शुभ रहेगा। बसंत पंचमी पर शादी का अबूझ महुर्त होने के कारण सैकडों वैवाहिक आयोजन होंगे।