
साहित्य: बात उसकी करो…
बात अगर किसी और की करना ही है,
तो उसकी करो, जिसमें कोई बात हो।
हृदय भरा हो प्रेम से सभी के लिए सदा,
नफरतों का न कोई कहीं पर भी नाम हो।
शक्ति हो भुजाओं में अतुल नयन दया भरे,
न करे, न सहे जुल्म, न छेड़े जज़्बात को।
त्याग तप: मूर्ति हो सेवा भाव परिपूर्ण हो,
जिसे देख सभी का चित्त हमेशा शांत हो।
द्वेष से परे सदा आदर सभी का जो करे,
जिसके रहते लगे सुरक्षा सारे समाज को।
सत्येंद्र सिंह(Satyendra Singh), पुणे, महाराष्ट्र