धन से खरीदी संतान कभी सुख नहीं दे सकतीं: देवी हेमलता शास्त्री

इटारसी। जैसी माता का संसर्ग मिलता है, संतानें भी वैसी ही होती हैं। धन से खरीदी संतानें कभी सुख नहीं दे सकतीं। ममता से, संस्कार देकर जिसे पाला उस संतान से तो उम्मीद भी की जा सकती है। लेकिन, संतों और भगवान से हठ या जिद करके मांगी संतानें धुंधकारी जैसी होती हैं। उक्त प्रेरक उद्गार यहां वृंदावन गार्डन न्यास कालोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा (Shrimand Bhagwat Katha) के पहले दिन भागवत भक्तों को कथा सुनाते हुए कथा वाचक देवी हेमलता शास्त्री (Devi Hemlata Shastri) ने व्यक्त किये। मातृशक्ति सेवा संस्थान के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन आज से प्रारंभ हुआ है, जो 7 फरवरी तक चलेगा। हर दिन दोपहर 1:30 से शाम 4:30 बजे तक कथा चलेगी।
आज पहले दिन श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ होने के पूर्व न्यास कालोनी स्थित साईं मंदिर से कलश यात्रा निकाली गयी। आयोजक मंडल शामिल जसबीर सिंह छाबड़ा, शरद गुप्ता, जगदीश मालवीय, अशोक खंडेलवाल, किशनलाल सेठी, अंशुल अग्रवाल सहित अनेक भक्त कलश यात्रा में शामिल हुए। आयोजन समिति की ओर से कथा वाचक देवी हेमलता शास्त्री का स्वागत किया गया। कलश यात्रा साईं मंदिर से कथा स्थल वृंदावन गार्डन पहुंची। यहां भागवत पुराण की पूजा-अर्चना की गयी। देवी हेमलता शास्त्री ने कहा कि धुंधकारी की करनी से पिता आत्मदेव काफी व्यथित हुए तो पुत्र गोकर्ण ने उनको ज्ञान दिया और उनकी प्रेरणा से उन्होंने वानप्रस्थ किया। उन्होंने कहा कि सीख यदि छोटे बालक से भी मिले तो उसे ग्रहण करना चाहिए।
श्रीमद् भागवत कथा की महिमा सुनाते हुए देवी हेमलता शास्त्री ने कहा कि धुंधकारी की करनी के बाद उसकी हत्या वेश्याओं के हाथों हुई और वह प्रेत योनी को प्राप्त हुआ। उसे प्रेत योनी से मुक्ति उसके भाई गौकर्ण ने करायी। संतों की सलाह पर गौकर्ण ने श्रीमद् भागवत कथा करायी और बांस के भीतर बैठे धुंधकारी की सातवे दिन मुक्ति हुई। उन्होंने कहा कि जब श्रीमद् भागवत से धुंधकारी की मुक्ति हो सकती है तो हम मनुष्यों की भी हो सकती है। उन्होंने उपस्थित भक्तों को कथा सुनने के लिए एकाग्रचित होकर सीधे बैठने को कहा। पहले दिन की कथा का विश्राम भागवत आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ।