जीवन में दुर्योधन जैसी विकृति नहीं होना चाहिए

जीवन में दुर्योधन जैसी विकृति नहीं होना चाहिए

नारायण सेवा संस्थान के भागवत रूपी आध्यात्मिक अनुष्ठान में उमड़ रहा है श्रोताओं का सैलाब।

इटारसी। वसुधैव कुटुम्बकम् भारतीय संस्कृति की विचारधारा जो इसे आत्मसात करते हुए जीवन जीता है, वही परमात्मा के दिए मानव जीवन की सार्थकता को पूर्ण करता है। उक्त उद्गार मथुरा वृन्दावन की अन्तर्राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता देवी हेमलता शास्त्री ने न्यास कॉलोनी इटारसी में व्यक्त किये। विश्व प्रसिद्ध नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में छाबड़ा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण संगीतमय एवं साहित्यक ज्ञान यज्ञ समारोह के द्वितीय दिवस में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष उन्होंने महाभारत प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जीवन में दुर्योधन जैसी विकृति नहीं होना चाहिए। दूसरों का हक छीनने की मानसिकता नहीं होनी चाहिए। परिवार में आपसी झगड़ा आपसी उलझन तो होती है, लेकिन उलझन ऐसी हो जो सुलझ जाए, आपसी नहीं बने। ऐसी मानसिकता हमारे जीवन की होनी चाहिए। भारतीय संस्कृति की विचारधारा बसुधेव कुटुम्बकम् की व्याख्या यह है कि मैं भूखा रह जाऊं पर दूसरा भूखा ना रहे। इस प्रकार देवी हेमलता जी ने श्रीमद्भागवत जी के माध्यम से अनेक जीवन उपयोगी प्रसंग साहित्यक एवं संगीतमय रूप से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किये। नारायण सेवा संस्थान के सेवा कार्यों का उल्लेख प्रसिद्ध कवि डॉ. हरिवंशराय बच्चन की इस पंक्ति के साथ किया कि बिना कुछ करे जय-जयकार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। द्वितीय दिवस की कथा मंगल आरती के साथ प्रारंभ हुयी। आरती पश्चात कार्यक्रम संयोजक एवं मुख्य यजवान जसवीर सिंह छाबड़ा के साथ ही यजमान शरद गुप्ता, अशोक खंडेलवाल, अंशुल अग्रवाल, एवं श्री सेठी ने प्रवचनकर्ता देवी हेमलता का स्वागत किया। वृन्दावन गार्डन में आयोजित कथा समारोह में एमजीएम कॉलेज की छात्राएं उत्कृष्ट वेषभूषा में श्रोताओं की बैठक व्यवस्था में अपनी सेवाएं दे रही हैं।

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