माघी स्नान, दान, व्रत पूर्णिमा, पवित्र सरोवर में स्नान दीप दान, पूजा, लाभ देगी

माघी स्नान, दान, व्रत पूर्णिमा, पवित्र सरोवर में स्नान दीप दान, पूजा, लाभ देगी

इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी गुरूजी पं. रामजीवन दुबे (Pt. Ramjeevan Dubey) ने बताया कि कल माघ शुुक्ल पक्ष स्नान, दान, व्रत पूर्णिमा बुधवार 16 फरवरी बुधवार गणेश जी (Ganesh ji) के दिन सर्वार्थ सिद्धि, शोभन योग में मनाई जावेगी। संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti )पर्व रहेगा।धर्म ग्रंथों और पुराणों में जिक्र मिलता है कि सतयुग से लेकर कलयुग तक सभी युगों में माघ मास की पूर्णिमा का बड़ा ही महत्व है। माघ के महीने में श्रीहरि जल में निवास करते हैं। माघ मास की पूर्णिमा के दिन देवलोक से देवता भी पृथ्वी पर आकर पवित्र नदियों और संगम में स्नान करते हैं। इसकी वजह यह है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत की वर्षा होती है। इससे सूर्योदय के समय स्नान करने से रोग और पाप दोनों का क्षय होता है। माघी पूर्णिमा का महत्व त्रेता युग में भी ऐसा था कि राम को वनवास भेजने से नाराज भरतजी ने अपनी माता कैकेयी को शाप दिया था कि उन्हें माघी पूर्णिमा के स्नान दान का भी पुण्य प्राप्त नहीं होगा। पुराणों में वर्णन मिलता है कि जो व्यक्ति पूरे माघ महीने में सुबह स्नान नहीं कर पाते वह केवल त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक सुबह स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें तो भी उन्हें पूरे महीने किए हुए माघ स्नान का पुण्य मिल जाता है।
मीरा के गुरु- कहते हैं कि भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास थे। मीराबाई संत रविदास से ही प्रेरणा ली थी और भक्तिमार्ग अपनाया था। कहते हैं संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी।
संत रविदास जयंती के साथ गंगा स्नान, पवित्र नदी गंगा, नर्मदा, शिप्रा में स्नान दीप दान गंगा स्नान पूजा सत्य नारायण भगवान की कथा काफी महत्वपूर्ण है। रात्री में शादियों का शुभ महुर्त रहेगा। पुण्य कार्य जीवन में सुख देते हैं। मां गंगा मईया कोरोना, आत्महत्या, बेरोजगारी महंगाई से मुक्ति प्रदान करें। आज से शादी के शुभ महुर्त 6 दिन लगातार हैं। गुरू अस्त खरमास के कारण 52 दिन शादियां बंद रहेंगी (21 फरवरी से 14 अप्रैल तक)।
संत रविदास की गिनती महान संतों में होती है। संत रविदास बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया का आडंबर छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे। इस बारे में उनकी एक कहावत – जो मन चंगा तो कठौती में गंगा काफी प्रचलित है। एक महिला उनके पास पहुंची और उसे गंगा नहाने की सलाह दी। फिर क्या मस्तमौला संत रविदास ने कहा कि जो मन चंगा तो कठौती में गंगा। यानी यदि आपका मन पवित्र है तो यहीं गंगा है। कहते हैं इस पर महिला ने संत से कहा कि आपकी कठौती में गंगा है तो मेरी झुलनी गंगा में गिर गई थी। ..तो आप मेरी झुलनी ढ़ूढ़ दीजिए। इस पर संत रविदास ने अपनी चमड़ा भिगोने की कठौती में हाथ डाला और महिला की झुलनी निकालकर दे दी। इस चमत्कार से महिला हैरान रह गई और उनके प्रसिद्धि के चर्चे दूर-दूर तक फैल गए।

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AUTHORRohit

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