भोजपुर शिव मंदिर के बारे में जाने अनोखे रहस्‍य

भोजपुर शिव मंदिर के बारे में जाने अनोखे रहस्‍य

भोजपुर शिव मंदिर कहां स्थित हैं, जाने भोजपुर शिव मंदिर की संरचना, भोजपुर शिव मंदिर का इतिहास, क्‍यो हैं अधूरा मंदिर, अनोखे ढंग से होती है शिवलिंग की पूजा, भोजपुर मंदिर के बारे में रोचक तथ्य, भोजपुर मंदिर कैसे जाए सम्‍पूूर्ण जानकारी 

भोजपुर शिव मंदिर कहां स्थित हैं (Where is Bhojpur Shiv Mandir located)

भोजपुर शिव मंदिर

भोजपुर शिव मंदिर भोपाल से 32 किलोमीटर दूर रायसेन जिले में स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की मुख्‍य विशेषता यह हैं कि इस शिवलिंग का निर्माण सिर्फ एक ही पत्थर से किया गया है ऐसा शिवलिंग विश्‍व में एकमात्र भोजपुर मे ही हैं यह मंदिर पहाड़ी पर स्थि‍त हैं इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज ने कराया था। यह भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं।

भोजपुर शिव मंदिर की संरचना (Structure of Bhojpur Shiva Temple)

एक पत्थर से बना भोजेपुर शिव मंदिर का आकार 106 फुट लंबा और 77 फुट चौड़ा है। इस मंदिर मे 17 फुट ऊँचे चबूतरे पर निर्मित किया गया है। और मंदिर के गर्भगृह की अपूर्ण छत 40 फुट ऊँचे चार स्तंभों पर टिकी हुई है। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित 22 फुट ऊँचा शिवलिंग दुनिया के विशालतम शिवलिंगों में से एक है। शिवलिंग का व्यास 7.5 फुट है।

इन चार स्तंभों में शिव-पार्वती, सीता-राम, लक्ष्मी-नारायण और ब्रह्मा-सावित्री की प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है। मंदिर की छत गुंबद आकार की है कई विद्वान ने इसे पहली गुंबदीय छत वाली इमारत भी बताया हैं। इसे बनाने में चिकने बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।

भोजपुर शिव मंदिर का इतिहास (History of Bhojpur Shiv Temple)

भोजपुर शिव मंदिर

इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज के द्वारा 1010 ई -1055 में किया गया था। 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने कई विशाल मूर्तियां व मंदिरों का निर्माण करवाया। राजा भोज प्रतिभा शाली व्‍यक्ति के साथ-साथ वास्तुकला में भी कुशल थें। उन्होंने 11 किताबें लिखीं उनकी द्वारा लिखी हुई एक पुस्तक समरंगना सूत्रधारा में सिविल इंजीनियरिंग पर 83 अध्याय का ग्रंथ है।

जिसे देखकर यह कहा जा सकता हैं कि इमारतों, किलों और मंदिरों का निर्माण कैसे किया जाता जिसका उन्‍हें पूर्ण ज्ञान था। इस मंदिर को भी उन्हीं ने डिजाइन किया था। भोजपुर शिव मंदिर से लगभग 7 कि.मी. दूर पर ऐसी जगह है  जहां प्राचीन मूर्तियां ठीक वैसे ही है जैसे कि भोजपुर मंदिर में शिवलिंग स्‍थापित हैं। यहां का नक्शा पत्थर पर बना हुआ है जो आज भी मंदिर के नजदीक मौजूद है।

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क्‍यों है अधूरा मंदिर (Why Is The Temple Incomplete)

कई मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक रात में पांडवों ने किया था। ऐसी मान्‍यता हैं कि पांडव अपने वनवास के दौरान माता कुंती के साथ यहीं आस-पास वनों में निवास कर रहे थे। इस दौरान भीम ने विशाल पत्थरों से ही इस मंदिर का निर्माण किया और शिवलिंग की स्थापना की, जिससे माता कुंती बेतवा नदी में स्नान करके भगवान शिव की पूजा कर सकें।

एक मान्‍यता ऐसी भी हैं कि मंदिर के निर्माण एक रात में ही होना था पर यह कार्य एक रात में पूर्ण ना हो सका जिसके कारण यह मंदिर आज भी अपूर्ण ही है। मंदिर के आस-पास स्थित अधूरे पिलर, मूर्तियाँ इस बात की सबूत हैं।

अनोखे ढंग से होती है भगवान शिव की पूजा (Lord Shiva is worshiped in this temple in a unique way) 

भोजपुर शिव मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना अलग तहर से होती हैं। इस शिवलिंग का आकार इतना बड़ा है कि उसका अभिषेक नीचे खड़े होकर नहीं किया जा सकता। अंदर विशालकाय शिवलिंग के कारण इतनी जगह नहीं बचती कि किसी अन्य तरीके से शिव अभिषेक किया जा सके।

इसलिए हमेशा से ही इस शिवलिंग का अभिषेक और पूजन इसकी जलहरी पर चढ़कर ही किया जाता है। कुछ समय पहले तक आम भक्‍त भी जलहरी तक जा सकते थे, लेकिन अब सिर्फ पुजारी ही दिन में दो बार जलहरी पर चढ़कर भगवान का अभिषेक कर पूजा-अर्चना करते हैं।

मंदिर निर्माण की मान्यता (Temple Building Recognition)

ऐसा माना जाता है, कि एक समय राजा भोज की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। तब उन्हें कहा गया था कि उन्हें अलग-अलग जगह की नदियों का पानी पीना है, तभी वह ठीक हो पाएंगे। तभी राजा भोज ने एक नदी पर बांध बनाया जिसमें बहुत सारी नदियों का पानी लाया गया और उसका पानी पीकर राजा भोज ठीक हो गए। तभी उन्होंने ठान लिया था कि वे यहां पर एक बड़ा और भव्य मंदिर बनाएंगे परंतु किसी कारण से इस मंदिर का निर्माण अधूरा ही रह गया हैं।

ऐसा भी माना जाता है कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान वे भोपाल के नजदीक भीमबेटका में भी कुछ समय के लिए ठहरे थे। इसी समय में उन्होंने माता कुन्ती की पूजा के लिए भोजपुर शिव मंदिर का निर्माण किया। इस मंदिर को बड़े बड़े पत्थरों से स्वयं भीम ने तैयार किया था। ताकि पास ही बहने वाली बेतवा नही में स्नान के बाद माता कुन्ती भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सकें।

भोजपुर मंदिर के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Bhojpur temple)

भोजपुर शिव मंदिर

  • भोजपुर मंदिर के पीछे की तरफ एक ढलान बनी हैं इस ढलान का उपयोग मंदिर के निर्माण के दौरान पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था।
  • दुनिया में कहीं भी इस निर्माण तकनीक का उपयोग नहीं किया गया है। इस तकनीक का उपयोग करके 70 टन के पत्थर को मंदिर में लाया गया।
  • महाशिवरात्रि और मकर संक्रांति पर भोजपुर शिव मंदिर में मेला लगता हैं।
  • इस मंदिर की छत के रूप में शीर्ष पर एक गुंबद बना हुआ है।

हवाई मार्ग से कैसे पहुंचे भोजपुर मंदिर कैसे जाए (How To Reach By Air How To Reach Bhojpur Temple)

भोजपुर शिव मंदिर के सबसे निकट भोपाल का राजा भोज हवाई अड्डा हैं। जो भोजपुर शिव मंदिर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। हवाई अड्डे से आप भोपाल में चलने वाली रेड बस, टैक्‍सी, आटो आदि से आसानी से जा सकते हैं।

ट्रेन मार्ग से कैसे पहुंचे से भोजपुर मंदिर कैसे जाए (How to reach Bhojpur Temple by Train)

भोजपुर मंदिर ट्रेन से जाने के लिए सबसे नजदीक हबीबगंज रेलवे स्टेशन और भोपाल हैं। रेल्‍वे स्टेशन से आप आसानी से जा सकते हैं।

रोड मार्ग से कैसे पहुंचे (How to reach by road)

भोजपुर मंदिर रोड मार्ग  से जाने के लिए आप भोपाल-होशंगाबाद मार्ग से जुडकर अपने निजी साधन आसानी से जा सकते  हैं।

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