इटारसी/नर्मदापुरम/ हरदा। जिला पुलिस ने करीब 3 करोड़ रुपए कीमत के चार पहिया वाहन चोरी के दो गिराहों को गिरफ्तार कर उनसे 25 चार पहिया वाहन सहित चोरी में उपयोग आने वाली डिवाइस भी जब्त की है। पुलिस ने दोनों गिरोह के 14 आरोपियों को 4 राज्यों से गिरफ्तार किया है।
गिरोह की गिरफ्तारी का खुलासा आज जिला मुख्यालय हरदा में आईजी दीपिका सूरी (IG Deepika Suri) ने किया। पुलिस के अनुसार मामले की शुरुआत तब हुई जब इटारसी में एक वाहन स्विफ्ट क्रमांक एमपी 04, सीडब्ल्यू 9332 11 अक्टूबर 2021 को चोरी हुई थी। आईजी ने संभाग में हुई चार पहिया वाहनों की चोरी के संबंध में जानकारी लेकर हरदा एसपी एवं नर्मदापुरम एसपी के निर्देशन में एक एसआईटी का गठन किया। दल में हरदा के अलावा नर्मदापुरम जिले के पुलिस अधिकारी भी शामिल किए गए।
इटारसी में चोरी हुई कार की घटना दिनांक से रूट की जानकारी हासिल की। इस दौरान पुलिस को एक महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी। चोरी गई कार का रूट जहां पहुंचा वहीं एक संदेही कमल पिता देवी सिंह धाकड़, (Kamal Devi singh dhakad) जाति किरार, निवासी उदयपुरा, जिला रायसेन की लोकेशन भी मिली। आरोपी कमल के बारे में जानकारी मिली कि वाहन चोरी का पुराना आरोपी रहा है। एसआईटी ने कमल से पूछताछ की तो उसने कन्नौद, खातेगांव, सिवनी मालवा, इटारसी से वाहन चोरी करके ड्राइवर के माध्यम से बनारस मिथिलेश नामक व्यक्ति को तथा भुवनेश्वर ओडिसा में अब्दुल शकूर को बेचा है। एसआईटी ने बनारस के चंदौली पुलिस थाना क्षेत्र में स्थानीय पुलिस की मदद से मिथिलेश कुमार मौर्य पिता फूलचंद मौर्य (MITHILESH MUMAR MOURYA) निवासी वाराणसी उत्तर प्रदेश को हिरासत में लिया। उसने कमल धाकड़ से चोरी की गाड़ी खरीदना स्वीकार किया।
एसआईटी ने स्थानीय पुलिस की मदद से उसके पास से 8 वाहन जप्त किए। मिथिलेश आरटीओ में काम करता है, जिसका फायदा उठाकर उसने मध्यप्रदेश की गाडिय़ों का उत्तर प्रदेश में फर्जी पंजीयन करके गाड़ी बेची हैं। वाहन के फर्जी पंजीयन मामले में चंदौली पुलिस ने मिथिलेश, शिवाजी विश्वकर्मा और पालचंद्र नियोगी के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया है। एसआईटी ने कमल धाकड़ की निशानदेही पर उसके घर ग्राम उदयपुरा तथा भोपाल वाले घर से दो वाहन जब्त किए, साथ ही मिथिलेश द्वारा बेचा गया एक वाहन गोरखपुर उत्तर प्रदेश तथा एक वाहन जो कन्नौज से चोरी हुआ था, उत्तर प्रदेश से जब्त किया। आरोपी कमल से मिली जानकारी के आधार पर एसआईटी ने स्थानीय पुलिस की मदद से ओडिसा के भुवनेश्वर पहुंचकर एक वाहन अब्दुल शकूर से जब्त किया। उक्त वाहन की रिपोर्ट विदिशा जिले के थाना गुलाबगंज में दर्ज है।
बिहार लिंक से मिली 11 गाडिय़ां (11 vehicles found from Bihar link)
एसआईटी ने बिहार से 11 वाहन जब्त किए हैं। इसकी शुरुआत हरदा में वाहन बेचने आए आरोपी की गिरफ्तारी से शुरू हुई। पुलिस को मुखबिर के माध्यम से जानकारी मिली कि 11 फरवरी 2022 को पटना का अमितेश उर्फ मोनू नामक व्यक्ति हरदा के रेलवे स्टेशन पर चोरी की एक चार पहिया वाहन बेचने आया है। पुलिस ने तत्काल घेराबंदी कर आरोपी को काले रंग की क्रेटा के साथ गिरफ्तार किया। हरदा सिटी कोतवाली मामले में अपराध दर्ज किया। आरोपी से पूछताछ करने पर उसने बताया कि चोरी की गाडिय़ों को बेचने का काम करता है। मुझे चोरी की गाडिय़ां ग्वालियर वाले अजय शर्मा और उसके अन्य साथी ड्राइवरों के माध्यम से भिजवा देते थे, जिनकी नंबर प्लेट बदलने के लिए उसी कलर और उसी कंपनी के वाहन को तलाशते थे। उसके बाद हम चोरी के वाहन पर नंबर प्लेट बदल लेते थे। मोनू ने बताया कि चोरी के वाहन उसने इटारसी स्टेशन पर बेचने के लिए खड़े करे तथा अन्य चोरी के वाहन उसने छोटू निवासी पटना, हनी सिंह निवासी पटना, बंटी निवासी मुजफ्फरपुर और सोहेल निवासी जमशेदपुर को बेचना बताया। एसआईटी ने इटारसी स्टेशन तथा उपरोक्त व्यक्तियों से विभिन्न स्थानों पर दबिश देकर सात वाहन जब्त किये। मामले में फरार अजय शर्मा को शिवपुरी के पास हाईवे से हिरासत में लिया। उसके कब्जे से एक वाहन तथा उसके साथी ज्ञानी गुप्ता से भी एक वाहन जब्त किया। दोनों गिरोह से कुल जब्त वाहनों की संख्या 25 बताई जा रही है। मामले में 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है
इन कंपनियों के वाहन जब्त किए (Vehicles of companies confiscated)
स्विफ्ट डिजायर 12, क्रेटा 6, स्कॉर्पियो 3, आई-20 दो, इनोवा और इंडिगो एक-एक। (
Swift Dzire 12, Creta 6, Scorpio 3, i-20 2, Innova and Indigo one each.)
ऐसे करते थे चोरी (used to steal like this)
आरोपी वारदात को तीन चरणों में अंजाम देते थे। सूने स्थान पर खड़ी गाड़ी को चिन्हित कर उसका विंडो ग्लास तोड़ा जाता था। फिर अंदर घुसकर उपलब्ध गेजेट के माध्यम से गाड़ी की चाबी में प्रोग्रामिंग इंस्टॉल कर ली जाती है। दूसरे चरण में ड्राइवरों के माध्यम से गाडिय़ों को ओडिशा, बनारस और पटना भेजा जाता है। तीसरे चरण में चोरी की गाडिय़ों का क्रय-विक्रय अलग-अलग राज्यों में आरोपियों के समूह द्वारा किया जाता है। प्रथम दृष्टया गाड़ी रजिस्ट्रेशन नंबर से देखी जाती है, इंजन नंबर, चेचिस नंबर पर किसी की नजर नहीं जाती। उक्त बातों को ध्यान में रखकर हाईवे पर जा रही किसी भी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर, कलर व मॉडल लिख लिया जाता है। ठीक इसी प्रकार एक्सीडेंटल गाडिय़ों की जानकारी भी ले ली जाती है ताकि उसी मॉडल और कलर की चोरी की गाड़ी आने पर उस पर नंबर लिख लिया जाए। गाडिय़ों के संबंध में क्रय-विक्रय की पूरी बातें व्हाट्सएप के माध्यम से की जाती है।