गोवर्धन लीला, छप्पन भोग, रुक्मणि मंगल के उत्सव का आयोजन

इटारसी। जगत के नाथ की धरा पुरी में इटारसी के यजमानों द्वारा करायी जा रही श्रीमद भागवत कथा में आज गोवर्धन लीला, छप्पनभोग, रुक्मणि मंगल उत्सव के आयोजन कथा के साथ हुए।
कथावाचक पंडित नरेन्द्र तिवारी ने कहा कि बृज मंडल पर मूसलाधार बारिश से उसे डुबो देने के इंद्र के अहंकार को तोड़कर, उनकी जगह प्रकृति के एक अनन्य स्वरूप गिरिराज गोवर्धन की पूजा कराकर श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण संसार को यह संदेश दिया कि किसी का भी, कैसा भी अहंकार अंतत: एक दिन टूटता ही है। प्रकृति स्वरूपा भगवान की अखंड सत्ता ही वास्तव में हमारा पालन पोषण करती है।
इस दौरान गाय के गोबर से निर्मित भगवान गोवर्धन की खूबसूरत झांकी सजाई व इटारसी से पुरी पहुंचे सभी 200 भक्तों ने छप्पन भोग लगा, परिक्रमा की। छठवें दिन सभी 200 लोगों ने 6 बसों से पुरी के आसपास के अन्य तीर्थों, चंद्रभागा नदी व समुद्र मंथन के संगम स्थल, लिंगाराज जी व साक्षी गोपाल के दर्शन किए। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर का भ्रमण किया व फिर नंदन कानन में शेर, चीता, हाथी, वन मनुष्य चिंपाजी, दुर्लभ हिरणों के समूह, मगरमच्छ, आदि हजारों जीवों को देखा। फिर सायंकाल की कथा में श्री कृष्ण संग देवी रुक्मणि के पावन मंगल की कथा हुई।
सजीव रूप में इस मंगल परिणय की झांकी भी बनाई गई थी। इस ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान राजेंद्र अग्रवाल भौंरा वाले हैं। सह यजमान प्रो. डा.विनोद सीरिया हैं। अन्य कुछ यजमान भी अपनी तरफ से अलग-अलग पंडितों द्वारा भागवत कथा का मूल पाठ भी करा रहे हैं।