चातुर्मास मे इन 5 राशियों पर रहेगी कृपा, चातुर्मास 2022 कब से लग रहा हैं, क्यो की जाती हैं भगवान शंकर की आराधना, चतुर्मास का अलग-अलग धर्मों में महत्व, जाने सम्पूर्ण जानकारी…
चातुर्मास क्या हैं (What Are Chaturmas)
हिन्दी कैलंडर में आने वाले यह चार महीने आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक चतुर्मास कहलाते हैं। चतुर्मास मे विवाह संबंधी कार्य, मुंडन विधि, नाम करण आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं। ऐसा माना जाता हैं इस समय भगवान विष्णु अपनी निंद्र में होते हैं। इसलिए जब चातुर्मास शुरू होता हैं तो हिंदू धर्म में इनकी पूजा भी की जाती हैं।
जब ये निद्रा से उठते हैं तभी ये शादी विवाह जैसे शुभ कार्य शुरू होते हैं। हिन्दू धर्म में इन दिनों धार्मिक अनुष्ठान बहुत ज्यादा किये जाते हैं। जैसे भागवत, कथा, रामायण, सुंदरकांड पाठ, भजन संध्या एवं सत्य नारायण की पूजा आदि। चजुर्मास मे दान करना बहुत ही लाभकारी माना जाता हैं।
चातुर्मास 2022 कब से लग रहा हैं (When is Chaturmas 2022)
- चातुर्मास का प्रारंभ: 10 जुलाई, दिन रविवार, देवशयनी एकादशी से
- चातुर्मास का समापन: 04 नवंबर, दिन शुक्रवार, देवउठनी एकादशी पर
क्यो कि जाती हैं भगवान शंकर की आराधना (Why Do You Worship Lord Shankar)
चातुर्मास का पहला महीना सावन का महीना होता हैं इसलिए भगवान शंकर की अराधना की जाती हैं इस पूरे महीने के दौरान भगवान शंकर की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। सावन महीने के सभी सोमवार के दिन व्रत रखे जाते हैं और अभिषेक किया जाता हैं। साथ ही चातुर्मास में कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा गया हैं।
चातुर्मास का अलग-अलग धर्मों में महत्व (Chaturmas Importance)
जैन धर्म में चतुर्मास का महत्व (Significance of Chaturmas in Jain)
जैन धर्म में चतुर्मास का बहुत अधिक महत्व होता हैं। जैन धर्म के लोग पुरे महीने मंदिर जाकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं एवं सत्संग में भाग लेते हैं। और गुरुवरों एवं आचार्यों द्वारा सत्संग किये जाते हैं एवं मनुष्यों को सद्मार्ग दिखाया जाता हैं। इस तरह इसका जैन धर्म में बहुत महत्व हैं।
बौद्ध धर्म में चतुर्मास का महत्व (Significance of Chaturmas in Buddhism)
गौतम बुद्ध राजगीर के राजा बिम्बिसार के शाही उद्यान में रहें उस समय चतुर्मास की अवधि थी कहा जाता हैं। साधुओं का बरसात के मौसम में इस स्थान पर रहने का एक कारण यह भी था कि उष्णकटिबंधीय जलवायु में बड़ी संख्या में कीट उत्पन्न होते हैं जो यात्रा करने वाले भिक्षुकों द्वारा कुचल जाते हैं। इस तरह से इसका बौद्ध धर्म में भी महत्व अधिक हैं।
हिन्दू धर्म में चतुर्मास का महत्व (Significance of Chaturmas in Hinduism)
हिन्दू धर्म के सभी बड़े त्यौहार इन्ही चतुर्मास के अन्दर आते हैं सभी अपनी मान्यतानुसार इन त्यौहारों को मनाते हैं एवं धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं।
चतुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए (What Not To Do In Chaturmas)
चतुर्मास में आपको कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। कहा जाता है कि, इस मास मे करने वाले शुभ कार्य का फल आपको प्राप्त नहीं होता है। क्योंकि इससे जुड़े हिंदू समाज में कुछ नियम भी होते हैं। इसमें किसी प्रकार के कोई भी मुहूर्त नहीं निकाले जाते है।
चातुर्मास व्रत के नियम (Chaturmas Fasting Rules)
स्नान : चतुमार्स के दिनों में सूर्योदय के पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए और मंदिर जाकर पूजा करनी चाहिए।
उपवास/व्रत : कई लोग पुरे चार महीने एक वक्त भोजन करते हैं। एवं रात्रि में फलहार किया जाता हैं।
परहेज : पुरे चार महीने प्याज, लहसन, बैंगन, मसूर जैसे भोज्य पदार्थ से परहेज करना चाहिए
बाल एवं दाड़ी : श्रावण एवं नव दुर्गा में बाल एवं दाड़ी नहीं कटवाने चाहिए।
धार्मिक कर्म कांड : पुरे चतुर्मास मे गीता पाठ, सुंदर कांड, भजन एवं रामायण पाठ सभी अपनी श्रद्धानुसार करना चाहिए। इसके अलावा इस समय कई दान पूण्य एवं तीर्थयात्रा पर जाना चाहिए।
चातुर्मास का वैज्ञानिक महत्व (Scientific importance of Chaturmas)
चातुर्मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं हैं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह चार माह खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के होते हैं। ये चार माह बारिश के होते हैं। इस समय हवा में नमी काफी बढ़ जाती हैं जिसके कारण बैक्टीरिया, कीड़े, जीव जंतु आदि बड़ी संख्या में पनपते हैं। सब्जियों में जल में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं।
खासकर पत्तेदार सब्जियों में कीड़े आदि लग जाते हैं। इस लिहाज से इन चार माह में पत्तेदार सब्जियां आदि खाने से बचना चाहिए। इस दौरान शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती हैं। साथ ही नॉनवेज और शराब का सेवन गलती से भी नहीं करना चाहिए इस दौरान सात्विक भोजन ही करें इसलिए संतुलित और हल्का, सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती हैं।
चातुर्मास मे आने वाले त्यौहार (Festivals Coming in Chaturmas)
आषाढ़ (Ashadh)
चतुर्मास का सबसे पहला महीना आषाढ़ होता हैं। आषाढ़ के 15 दिन चतुर्मास के अंतर्गत आते हैं ऐसा भी कहा जाता है कि चतुर्मास अर्ध आषाढ़ माह से शुरू होता हैं। इस माह में गुरु एवं व्यास पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता हैं जिसमें गुरुओं के स्थान पर धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं कई जगहों पर मेला सजता हैं। गुरु पूर्णिमा खासतौर पर शिरडी वाले साईं बाबा, सत्य साईं बाबा, गजानन महाराज, सिंगाजी, धुनी वाले दादा एवं वे सभी स्थान जो गुरु के माने जाते हैं।
श्रावण (Shravan)
चतुर्मास का दूसरा महीना श्रावण का होता हैं यह महीना बहुत ही पावन महीना होता हैं इसमें भगवान शिव की अराध्ना की जाती हैं। इस माह में कई बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं जैसे रक्षाबंधन, नाग पंचमी, हरियाली तीज एवं अमावस्या, श्रावण सोमवार आदि।
भाद्रपद (Bhadrapada)
चतुर्मास का तीसरा महीना भादों अर्थात भाद्रपद का होता हैं इस माह मे कजरी तीज, हर छठ, जन्माष्टमी, गोगा नवमी, जाया अजया एकदशी, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, डोल ग्यारस, अन्नत चतुर्दशी, पितृ श्राद्ध आदि त्यौहार आते हैं।
आश्विन माह (Ashwin Month)
चतुर्मास का चौथा महीना आश्विन का होता हैं अश्विन माह में पितृ मोक्ष अमावस्या, नव दुर्गा व्रत, दशहरा एवं शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण एवं बड़े त्यौहार आते हैं इस माह को कुंवार का महीना भी कहा जाता हैं।
कार्तिक माह (Kartik Month)
यह चातुर्मास का अंतिम महीना होता हैं जिसके 15 दिन चतुर्मास में शामिल होते हैं इस महीने में दीपावली के पांच दिन, गोपा अष्टमी, आंवला नवमी, ग्यारस खोपड़ी/ प्रमोदिनी ग्यारस अथवा देव उठनी ग्यारस जैसे त्यौहार आते हैं।
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इन 5 राशि के लोगों पर बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा (Lord Vishnu’s grace will Rain on The People of These 5 Zodiac Signs)
मेष राशि : मेष राशि के जातकों के लिए चातुर्मास खास रहने वाला है। कार्य में सफलता मिलेगी और तरक्की के रास्ते खुलेंगे। चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा लाभकारी सिद्ध हो सकती है। चातुर्मास में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए घी का दीपक जलाएं।
वृषभ राशि : वृषभ राशि के जातकों के लिए चातुर्मास शुभ साबित होने वाला है। चातुर्मास में वृषभ राशि का भाग्य बदल सकता है। भाग्य आपका साथ दे सकता है। व्यापार में अचानक लाभ के योग भी है।
मिथुन राशि : इस राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में प्रगति के लिए कुछ समय इंतजार करना होगा। महत्वपूर्ण कार्यों को निपटाने में समय का पूरा सहयोग मिलेगा। व्यापार की दृष्टि से यात्रा करना शुभ नहीं रहेगा। इस अवधि में गाय को रोटी खिलाना शुभ होगा।
कर्क राशि : कुल मिलाकर कर्क राशि के लोगों के लिए चातुर्मास अच्छा रहेगा। किसी खास दोस्त या रिश्तेदार से कलह हो सकता है। व्यापार में धन लाभ के योग बने रहेंगे। चातुर्मास में श्री रामचरितमानस का पाठ करना कर्क राशि वालों के लिए लाभकारी हो सकता है।
वृश्चिक राशि : इस राशि के जातकों पर चार्तुमास में भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी। व्यापार करने वालों को लाभ होगा। नौकरी करने वालों को प्रमोशन मिल सकता है। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। मंदिर में गोले-मिश्री का दान करना शुभ फलदायी होगा।
नोट : इस पोस्ट मे दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। narmadanchal.com विश्वसनीयता की पुष्टी नहीं करता हैं। किसी भी जानकारी और मान्यताओं को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।