चुनाव संदर्भ : हम सबकी आंखों के सितारे, फिर क्यों है किनारे…
: पंकज पटेरिया –
लो साहब हद हो गई, इतने काबिल और तजुर्बे वाले भाजपा की रायशुमारी में, बैठक और मंथन के बाद भोपाल सहित अन्य जगह की महापौर के लिए, माननीयों के नाम रविवार तय नहीं हो पाये। अब यह कवायत आज फिर होगी। सोमवार देखे शिव किस मातृ शक्ति पर अपनी कृपा बरसाते है। गर्मी बेहाल कर रही हैं, मानसून जी जाने किस जगह अटक गए। इसी तरह आम सहमति की रेशमी फुहारे एक नाम पर ॐ नमः शिवाय जय घोष क्यों नहीं कर पा रही है? खासतौर से राजधानी भोपाल के मामले में। यह कहना मोजू लगता है कि हम तो सबकी आंखों के सितारे फिर क्यों हैकिनारे। इस मामले मे फख्त कांग्रेस ने जरूर घोषणा पहले कर दी। यूं आगे की खुदा जाने ? छन छन, खन खन, बजती चारू चर्चा यह भी कि आज निराशा नहीं होगी। लोग कहते सबसे ऊपर आगे, अग्रसर भोपाल की बहन, बेटी और बहू भाजपा से महापोर की प्रत्याशी होगी। जो भी हो स्वागत है।
हम तो त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे का गान करते हैं । यह जो चाहते हैं कि जल्दी निर्णय हो जाए मानसून लेट ना हो। वरना कोई दुखी मन नीरज जी का यह दोहा आज फिर दोहराने लगे “अब के सावन मे यह शरारत हमारे साथ हुई, हमारा घर छोड़ कुल शहर में बरसात हुई।
नर्मदे हर।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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