चुनाव संदर्भ : अब तो पूरे तालाब का पानी, बदलने की ठानी है मामाजी ने
: पंकज पटेरिया, भोपाल –
जितने विशेषण सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सर्व स्वीकार और सम्मानित मान मुकुट बन गए हैं, इतने किसी भी राजनेता के साथ संभवत: नहीं जुड़े। दरअसल यह करनी और कथनी की एकरूपता का परिणाम। उन्होंने जो कहा वह कर गए और एक मिसाल जनता जनार्दन के सामने पेश की। नर्मदा यात्रा क्षेत्र के पांव-पांव भैया, बेटियों के, भांजियों के मामा, माफियाओं और गलत काम करने वालों के लिए सख्त कार्यवाही करने वाले बुलडोजर बाबा तो मृदुल हृदय लाड़लियों के चरण पूज कन्यादान लेने वाले भावुक प्रेम भरे मामा तो बिल्कुल एक नए अवतार में प्रकट हुए। खिलौने वाले मामा, जिन की चिंता है आंगनवाड़ी की उदास शक्ल-सूरत संवारकर हंसी-खुशी की फुलवारी खिलाने की और हर बच्चे को नन्हे हाथों में खिलौना देने की। बेहद मार्मिक मंजर पहले पहल उस दिन राजधानी के अशोका गार्डन इलाके में उपस्थित हो गया था, जब सूबे के मुख्यमंत्री स्वयं हाथ ठेला लेकर खिलौने इकठ्ठा करने सड़क पर निकल पड़े थे। मामा की मार्मिक अपील का नतीजा था, ट्रकों भर बच्चों के खिलौने जमा हो गए थे और आंगनबाडिय़ों के संवारने के लिए स्व इच्छा लोगों ने राशि भी भेंट की। ऐसा सुयोग इंदौर में भी उपस्थित हुआ था।
जाहिर है सुरक्षा के भी चाक-चौबंद प्रबंध किए गए हैं। सीएम ने कलेक्टर, जनप्रतिनिधियों को भी इस मुहिम में भागीदारी करने के निर्देश दिए हैं। जिस तरह नारियल, पूजन का अभिन्न अंग है और हर शुभ कार्य में जिसका विशेष महत्व है, जो अंदर से बहुत मृदुल सरस होता है, तो बाहर से उतना ही सख्त होता है। शिवराज जी ठीक उसी तरह के व्यक्ति हैं, गलत लोगों के लिए बहुत सख्त कठोर लेकिन जरूरतमंद नेक ईमानदार लोगों के लिए बहुत मृदुल विनम्र और मददगार। इधर बैठे ठाले पुराने वाले यह शिगूफा छोडऩे से बाज नहीं आ रहे हैं कि भैया यह सब चुनावी तमाशा है।
खैर यहां उल्लेखनीय है कि किसी भी विभाग की सरकारी ढीलेपन, मनमानीपन का रवैया बीते दिनों की बात हो गई। धड़ाधड़ प्राइस अथवा पनिशमेंट तुरंत देना सूबे के नेतृत्व का विशिष्ट गुण है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उन्होंने अभी से अपना एटीट्यूड अफसरशाही को दिखा दिया है और खुद सारे तामझाम को देख रहे हैं। मंत्रियों को एक औपचारिक बैठक में सीएम ने साफ-साफ कह दिया है कि अब अपने प्रभार के जिलों पर फोकस करें। चुनाव जिताना है। उनके तेवर तासीर से लगता है कि अब तो उन्होंने पूरे तालाब का पानी बदलने की ठान ली है, ताकि जलकुंभियों का कुनबा न फैले। लेकिन इधर कई माननीयों के दिले जिगर, नूरे चश्म कोई के भाई हं,ै कोई भतीजा है, कहीं-कहीं शरीके हयात यानी जीवनसंगिनी भी पंचायत चुनाव में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की जुगत कर चुकी हैं।
अब इसे भाई लोग अपने अपने-अपने खेत बेले बढ़ाने का आरोप लगाएं तो लगाते रहें। अरे साहब! डेमोक्रेसी है, सब मौके का मुरब्बा अगर लेते हैं तो क्या हर्ज है। बहरहाल बड़ी कशमकश। बड़े-बड़े उस्ताद खलीफा दंड पहल रहे हैं।
भाभी तो मुकाबले में कौन
इधर खबरों की मानें तो कांग्रेस में भोपाल महापौर के लिए पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल की भाभी श्रीमती विभा पटेल का नाम तकरीबन तय कर दिया है। उधर सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की ओर से किसी एक नाम पर अभी मुहर नहीं लग पाई है? यूं इस रेस में श्रीमती कृष्णा गौर, उधर सुश्री राजो मालवीय बराबरी पर चल रहे हैं। एक- दो और नाम भी हैं। अब वक्त बताएगा भाभी का मुकाबला कौन दीदी करेंगी। यूं कृष्णा जी और विभा जी दोनों इस मयूर सिंहासन पर पहले विराज चुकी हैं। लगता है बहुत जल्दी ही कशमकश की रस्सी ढीली होगी और एक बराबरी की टक्कर देने वाली बीजेपी की दीदी मैदान में होंगी। तब तक के लिए जय हिंद नर्मदे हर।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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