जीवन में प्रेम के बगैर ज्ञान अधूरा है : देवी हेमलता शास्त्री

जीवन में प्रेम के बगैर ज्ञान अधूरा है : देवी हेमलता शास्त्री

वृन्दावन गार्डन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन

इटारसी। संसार में जीवन को व्यवस्थित चलाने ज्ञान अति आवश्यक है लेकिन इसमें प्रेम का भाव होना चाहिए। प्रेम के बगैर ज्ञान अधूरा है। उक्त उद्गार कथा प्रवक्ता देवी हेमलता शास्त्री ने वृन्दावन गार्डन इटारसी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा समारोह के विश्राम दिवस में व्यक्त किये।
श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस की कथा के प्रारंभ में प्रवचनकर्ता देवी हेमलता ने उद्धव प्रसंग के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को बताया कि जीवन में ज्ञान का आदान-प्रदान तभी सार्थक होता है जब इसमें प्रेम का भाव होता है, और प्रेमपूर्ण भक्ति ज्ञान का एक पूर्ण संविधान हमारे वेद पुराण हैं, जो हमें हमारे मानव मूल्यों से अवगत कराते हैं। राजतंत्र और प्रजातंत्र में जननायक वही बनता है जिसके प्रति जन-जन का विश्वास कायम हो। लेकिन यह तभी संभव है जब जननायक भी जन-जन के प्रति समर्पण और सरल स्वभाव रखे, जैसे इस क्षेत्र के जन नायक डॉ. सीतासरन शर्मा हैं, जो अपनी समर्पणता पूर्ण कार्यशैली के कारण तीन दशकों से आप सबके जननायक बने हुए हैं। सुश्री हेमलता ने आज पंजाबी गीत हरेक पे एतबार ना होंदा के माध्यम से कहा कि मन की बात हर कोई से नहीं की जा सकती। जिस पर भरोसा और विश्वास होता है उससे ही मन की बात कही जा सकती है। इस प्रकार अनेक ज्ञानपूर्ण प्रसंगों के साथ देवी जी ने उपस्थित श्रोताओं को श्रीमद्भागवत जी के माध्यम से जीवन दर्शन का ज्ञान प्रदान किया। सुदामा प्रसंग के साथ कथा समारोह का विश्राम हुआ। समापन दिवस की कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान जसवीर सिंह छाबड़ा के साथ ही जगदीश मालवीय, अशोक खंडेलवाल, शरद गुप्ता, मनोज सोनी, अंशुल अग्रवाल, किशन लाल सेठी ने प्रवचनकर्ता देवी हेमलता के साथ ही उनकी संगीत समिति एवं संस्कार चेनल की टीम का सम्मान किया। समापन अवसर पर महाआरती के साथ ही उपस्थित हजारों हजार श्रद्धालु श्रोताओं को श्रीमद्भागवत जी का महाप्रसाद वितरित किया गया।

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