रेलकर्मी को आवास से बेदखल करने की डीआरएम से शिकायत
Complaint to DRM for eviction of railway worker from residence

रेलकर्मी को आवास से बेदखल करने की डीआरएम से शिकायत

इटारसी। जोनल रेल उपयोगकर्ता समिति के सदस्य राजा तिवारी ने डीजल शेड इटारसी (Diesel Shed Itarsi) में कार्यरत रेलकर्मी को बारिश के दौरान घर से निकालने के मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इसकी शिकायत डीआरएम (DRM), जीएम (GM) और सांसद (MP) को करते हुए मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। श्री तिवारी (Raja Tiwari) का कहना है कि बारिश के मौसम में इस तरह से किसी को भी घर से नहीं निकाला जा सकता है, यह नियम विरुद्ध है।

उल्लेखनीय है कि डीजल शेड इटारसी (Diesel Shed Itarsi) में तकनीशियन सुनील मेहरा (Technician Sunil Mehra) को सोमवार को अमानवीय तरीके से रेल आवास से निकाल दिया गया था, जबकि उक्त आवास में उसने रेलवे के ही कुछ जिम्मेदार अधिकारियों से मौखिक अनुमति ले ली थी। अब उनको यह कहकर निकाल दिया कि उसने अनुमति नहीं ली थी और यह आवास किसी अन्य रेलकर्मी को आवंटित किया है। लंबे समय से रिक्त उक्त आवास में केवल बारिश से बचने के लिए ही सुनील मेहरा ने अपना सामान रखा था।

किसी ने नहीं सुनी

सुनील मेहरा की विकलांग पत्नी अधिकारियों के आगे हाथ जोड़ती रही, गिड़गिड़ाती रही, लेकिन अधिकारियों ने मानवीयता नहीं दिखाई और बारिश में उनको बाहर कर दिया। अधिकारियों ने डीजल शेड में कार्यरत तकनीशियन के घर का बिजली, पानी का कनेक्शन काटकर उसे इस बारिश के मौसम में दर-दर भटकने को मजबूर कर दिया। सुनील अब वहीं एक किराये के मकान में अपनी दिव्यांग पत्नी और छोटी बच्ची के साथ रह रहा है। राजा तिवारी ने मामले की जांच भोपाल के अधिकारियों से कराने की मांग की है।

ये कुछ सवाल उठाये हैं :

पूर्व में रेल कर्मचारी अपनी दिव्यांग पत्नी और छोटी बच्ची के साथ रह रहा था, उसमें लगातार बारिश होने से छत से पानी टपकता था। रेलकर्मी ने संबंधित अधिकारियों से मौखिक अनुमति लेकर एक अन्य आवास आरबी सैकंड 370, जो लंबे समय से रिक्त था, अपना सामान शिफ्ट कर लिया था। इस संबंध में उन्होंने पीडब्ल्यूआई को भी अवगत कराया था। बावजूद इसके उसे क्यों निकाला गया?

यह आवास स्थानीय अधिकारियों ने एक अन्य रेल कर्मचारी को आवंटित कर दिया, जबकि यह रिक्त था, तब क्यों आवंटित नहीं किया? उक्त रेलकर्मी के शिफ्ट होने पर ही ऐसा क्यों? फिर इस बारिश में उसे शाम के वक्त सामान सहित रेल पुलिस की मदद से बाहर निकाल दिया। वह किराये का मकान ढूंढ़ता रहा और उसकी दिव्यांग पत्नी और बच्ची रोड किनारे रिमझिम बारिश में बैठकर उसका इंतजार करते रहे। यह रेल अधिकारियों की कैसी मानवीयता है ?

किसी कर्मचारी को बारिश में किसी भी आवास से, जिसमें वह रहता है, बेदखल करना अमानवीयता की श्रेणी में आता है, जबकि उसका स्वास्थ्य भी खराब था। यह भी जांच का विषय है कि इटारसी की रेलवे कालोनियों नयायार्ड, 12 बंगला, 18 बंगला में ऐसे दर्जनों आवास हैं, जिनमें वर्षों से कई दबंग (जो रेलवे के कर्मचारी नहीं हैं) बलात् रह रहे हैं, उनको बाहर करने की हिम्मत ये अधिकारी क्यों नहीं जुटा पाते हैं? केवल गरीब कमजोर कर्मचारी पर ही ये इस तरह की कार्रवाई क्यों करते हैं ?

राजा तिवारी (Raja Tiwari) ने आला अधिकारियों को मांग पत्र भेजकर मांग की है कि उक्त कर्मचारी को न्याय दिलाया जाए और उसे एक अच्छा रेल आवास आवंटित किया जाए तथा इटारसी में रेलवे की जितनी भी कालोनियां हैं, उनमें अवैध रूप से रह रहे लोगों का सर्वे कराके उनको रेल आवास से बाहर कराया जाये।

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