श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया

श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया

इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navagraha Temple) में आज श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Shri Nageshwar Jyotirlinga) का अभिषेक किया गया। इस अवसर पर पंडित विनोद दुबे ने बताया कि श्री नागनाथ की लिंगमूर्ति छोटे गर्भ ग्रह में रखी हुई है। यहां महादेवी के सामने नंदी नहीं है। गर्भ ग्रह के पीछे नदी का मंदिर अलग से है।
इस स्थान की विशेषता यह है कि प्रति 12 वर्ष बाद कपिलाष्टमी (Kapilashtami) के समय कुंड में काशी की गंगा का पर्दापण होता है और उस समय कुंड का पानी बिलकुल निर्मल रहता है। औरंगजेब (Aurangzeb) ने कई बार इस मंदिर को तोडऩे के प्रयास किए थे लेकिन बार-बार उसे निराशा ही हाथ लगी और वह सैनिकों सहित वापस गया। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थान से महाराष्ट्र (Maharashtra) के प्रसिद्ध संत नामदेव (Saint Namdev) जी महाराज के जुड़े रहने का प्रमाण भी मिलता है। एक बार नामदेव जी महाराज ज्योतिर्लिंग के सामने भजन करना चाह रहे थे, उन्होंने भजन शुरू किए तो वहां मौजूद ब्राह्मण शुरू धरी पाठ कर रहे थे उनको व्यवधान हुआ और उन्होंने नामदेव जी जिससे कहा कि वे मंदिर की दूसरी तरफ जाकर भजन कर लें। नामदेव जी मंदिर की दूसरी तरफ चले गए लेकिन इसी बीच एक चमत्कार हुआ और मंदिर ही नामदेव जी की ओर घूम गया।
भगवान शंकर के सम्मुख नामदेव जी भजन सुनाने लगे ब्राह्मण लक्षित हुए और नामदेव जी से माफी मांगी। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के संदर्भ में पंडित विनोद दुबे ने कहा कि दक्ष प्रजापति (Daksha Prajapati) ने अश्वमेघ (Ashwamedha) करवाते समय अपने दामाद भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया था, पार्वती जब अपने पति शिवजी के मना करने के बाद भी अपने पिता दक्ष के यहां पहुंची और उन्हें वहां देखा उनके पति भगवान शंकर का स्थान अन्य देवताओं के साथ नहीं है। तब वे क्रोधाग्नि में जली और अपने शरीर की आहुति दे दी। भगवान शंकर इस बात से अत्यंत दुखी हुए और अमदर्क नाम की एक विशाल झील के तट पर आकर रहने लगे। कुछ समय बाद बनवासी पांडवों ने उस अमदर्क झील के परिसर में अपना आश्रम बनाया। उनकी गाय पानी पीने के लिए झील पर आती थी। वहां पानी पीने के उपरांत भी अपने स्तन से दुग्ध धाराएं  झील में अर्पित करती थी। पंडित विनोद दुबे ने कहा कि 1 दिन भीम ने यह चमत्कार देखा और अपने बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर को सारा वृत्तांत बताया। तब धर्मराज युधिष्ठिर (Dharmaraja Yudhishthira) ने कहा कि निश्चित ही कोई देवी देवता निवास कर रहा है। फिर पांडवों ने झील का पानी हटाना शुरू किया। जल के मध्य में पानी इतना गर्म था कि पर उबल रहा था। तब भीम ने हाथ में गदा लेकर झील के पानी पर तीन बार प्रहार किया। तब पानी तत्काल हट गया। उसी समय पानी की जगह भीतर से खून धाराएं निकलने लगी एवं भगवान शंकर का दिव्य ज्योति की तरह दिखाई दिया जिससे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया गया। आज भी लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं। यजमान के रूप में अनुज साहू ने भगवान शंकर के पार्थिव स्वरूप का पूजन अभिषेक किया।

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AUTHORRohit

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