स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा झेलते तवानगर के निवासी

स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा झेलते तवानगर के निवासी

बढ़ रहे कोरोना मरीज, नहीं ले रहा प्रशासन सुध

इटारसी। केसला ब्लाक के ग्रामीण अंचलों में कोरोना के मरीज बढऩे के बावजूद प्रशासन उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं कर पा रहा है। तवानगर जैसे बड़े कस्बे में कोरोना मरीज (Corona Patients) बढऩे के बावजूद यहां सेंपलिंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जबकि कोरोनाकाल में सिर्फ तवानगर में ही लगभग दो दर्जन मौतें हो चुकी हैं, जिनमें चार मौतें हॉस्पिटल (Hospital) में हुई हैं। न तो विकासखंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सुखतवा ओर से ना ही सीईओ कार्यालय केसला ने तवानगर की सुध ली है। ऐसी स्थिति में तवानगर की गरीब जनता जिसे तकलीफ होती हैं तो वह इटारसी इलाज कराने जाते हैं। 30 किलोमीटर लंबी दूरी तय करने के बाद ही उसे इलाज नसीब हो पाता है, जबकि यहां बेस अस्पताल है। ऐसी स्थिति में यदि मरीजों को ऑक्सीजन की कमी हो जाये तो वह इटारसी तक नहीं पहुंच पायेगा।
तवानगर समाजसेवी, अधिवक्ता भूपेश साहू (Advocate Bhupesh Sahu) का कहना है कि तवानगर के आलावा 15-16 गांव ऐसे हैं जो तवानगर से जुड़े हुए हैं। वे सभी आदिवासी क्षेत्रों के लोग इलाज कराने के लिए तवानगर ही आते हैं। लेकिन, तवानगर हॉस्पिटल की बदहाली के कारण मरीज को कोई व्यवस्था नहीं मिल पाती।

व्यवस्था करे प्रशासन
अधिवक्ता भूपेश साहू का कहना है कि प्रशासन को कम से कम कोरोना काल के दौरान तवानगर हॉस्पिटल में आईसोलेशन वार्ड के अलावा ऑक्सीजन का कम से कम एक सिलेंडर तो हॉस्पिटल में उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि किसी मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो तो ऑक्सीजन लगाकर इटारसी हॉस्पिटल तक तो पहुंचाया जा सके। उल्लेखनीय है कि तवागन में पहले बेस अस्पताल था जो सिंचाई विभाग संचालित करता था। लेकिन बजट की कमी सहित अन्य कारणों से सिंचाई विभाग ने अस्पताल का खर्च उठाना बंद कर दिया और अब यह व्यवस्था चिकित्सा विभाग के हाथों में चली गयी। इसके बाद इसे उप स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील कर दिया गया है। यह सुखतवा स्वास्थ्य विभाग के अधीन है और यहां एक एएनएम आकर दवा वितरण और शासन की योजनाओं का संचालन करके लोगों को लाभान्वित करती है।

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