बिगड़ी व्यवस्था, न तो पुलिस कर्मी थे ना ही अफसर

इटारसी। आज रविवार को त्योहारी बाजार की हालत बदतर थी। व्यवस्था के नाम पर यहां न तो पुलिस कर्मी दिखाई दिये और ना ही प्रशासन को कोई जिम्मेदार अधिकारी। इतनी भीड़ में अपराध होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, जब महिलाएं बाजार में सबसे अधिक हों, पुलिस कर्मियों का नदारद रहना भी चिंता का विषय है। ट्रैफिक के तो बुरे हाल थे। तुलसी चौक से जयस्तंभ चौक तक महज दो सौ मीटर से भी कम की दूरी पर बेतरतीब तरीके से लगी दुकानें, फलों के ठेले वाले और ग्राहकों की भीड़ ने सारी व्यवस्था की कलई खोलकर रख दी थी।

रविवार को पुलिस और प्रशासन छुट्टी के मूड में थे। फलों के ठेले वाले सारी व्यवस्था बिगाड़ रहे थे। वे यदि व्यवस्थित भी खड़े हो जाते तो व्यवस्था सुचारू चल सकती थी, लेकिन ज्यादातर ने हठधर्मिता दिखाई। जो लोग इनके हिमायती होते हंै, ऐसे लोग भी नदारद थे। वे भी त्योहारी बाजार में आकर इनकी मनमानी देखें तो शायद इनका पक्ष न लें। केवल सोशल मीडिया पर पक्षदारी करने से बेहतर है कि मैदान में आकर इनकी मनमानी देखें तो शायद शर्मसार होना पड़े।
ट्रैफिक पुलिस ने जैसा त्योहारी बाजार में करते हैं, न तो कोई स्टॉपर लगाया था और ना ही कोई पुलिस कर्मी कहीं किसी को रोकते-टोकते दिखायी दे रहा था। ऐसे में तो माना जा रहा है कि सिर्फ एक दिन कुछ घंटे के इस बाजार में व्यवस्था इतनी चरमरा गयी थी तो दीवाली जैसे पांच दिन के बाजार में क्या होगा? प्रशासन को इसके लिए योजना बनाकर काम करना होगा, अन्यथा ऐसे लोगों को छूट मिल गयी तो सारी बाजार की व्यवस्था बिगडऩे में कुछ मिनट की ही वक्त लगेगा।

CATEGORIES
Share This

AUTHORRohit

error: Content is protected !!