देवी उपासना से खत्म होती है मन की वासना: रामकृपालु जी

देवी उपासना से खत्म होती है मन की वासना: रामकृपालु जी

इटारसी। देवी उपासना से मन की वासना दूर होती है। उक्त उद्गार ग्राम सोनतलाई में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण (Shrimand devi Bhagwat Mahapuran) में वीकलपुर के वेदाचार्य श्रीरामकृपालु जी शास्त्री ने व्यक्त किये। क्षेत्र की सुख-शांति एवं जनकल्याण के लिए मां कात्यानी देवी मंदिर समिति द्वारा आयोजित देवी पुराण के पांचवे दिवस में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कथा को विस्तार देते हुए वेदाचार्य श्री शास्त्री ने कहा कि हम जब भी धर्म या पुण्य कार्य करें तो दो बातों को ध्यान में रखें। हमारे मन मेें न तो अहंकार हो और ना ही किसी प्रकार की वासना। क्योंकि यह दोनों बुराईयां हमें अपने अच्छे कार्यों का प्रतिफल प्राप्त नहीं करने देती हैं। धर्म स्थलों एवं मंदिरों में जब हम देवी-देवता के दर्शन प्राप्त कर जो भी मनोकामना मांगते हैं उसमें वासना का दूर-दूर तक स्थान नहीं होना चाहिए। मंदिरों में जाने से पूर्व वासना का पूरी तरह त्याग करना चाहिए। अन्यथा पुण्य फल प्राप्त होने के वजाय कर्म दंड की प्राप्ति होती है। लेकिन वासना को वश में करना बहुत मुश्किल होता है, अत: शुद्ध मनकर्म से देवी की उपासना करें। देवी उपासना ही मन की वासना को खत्म करती है और जीवन को सुख-षांति एवं सफलता की ओर अग्रसर करती है। पांचवे दिवस की कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान पं. मोहित भार्गव एवं कार्यक्रम संयोजक पं. राजीव दीवान ने समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से प्राणपूजन कर प्रवचनकर्ता श्री शास्त्री का स्वागत किया।

Sontalayi1

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!