
किसान और व्यापारियों में विवाद, एक घंटे बंद रही मंडी
इटारसी। गेहूं खरीद में कीमतों को लेकर हुए विवाद के कारण आज करीब एक घंटे मंडी में नीलामी कार्य नहीं हुआ और मंडी बंद रही। सूचना पर पहुंचे एसडीओ राजस्व एवं मंडी में भारसाधक अधिकारी मदन सिंह रघुवंशी और मंडी में विधायक प्रतिनिधि देवेन्द्र पटेल की समझाईश और दोनों पक्षों से बातचीत के बाद आखिरकार किसान और व्यापारियों में समझौता हुआ तथा खरीद प्रारंभ हुई।

दरअसल, सारा विवाद दाम को लेकर था। किसानों का कहना था कि व्यापारी उनका गेहूं समर्थन मूल्य पर नहीं लेकर उससे नीचे कीमत लगा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि यदि गेहूं एफएक्यू क्वालिटी का नहीं है तो वे कैसे इसे समर्थन मूल्य से ऊपर खरीदें। व्यापारियों का कहना था कि दाना पतला है, मिट्टी है और कुछ गीला भी है। ऐसे में वे समर्थन मूल्य पर यह गेहूं नहीं ले सकते। सूचना पर किसान संगठन क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के पदाधिकारी भी पहुंच गये।
संगठन के जिलाध्यक्ष हरपाल सिंह सोलंकी ने कहा कि व्यापारी अपनी मनमर्जी से अनाज खरीद रहे हैं। प्रथम दृष्टि में 30 में से दो ट्राली समर्थन मूल्य के ऊपर खरीदी गई बाकी ट्राली को अनदेखा करते हुए आगे की ओर निकल गए। हमने एसडीएम से निवेदन किया कि कोई भी किसान की फसल समर्थन मूल्य से नीचे ना बिके इसके लिए स्वयं एसडीएम मंडी में पहुंचे और व्यापारियों से गेहूं की खरीदी के लिए कहा। उसके बावजूद भी समर्थन मूल्य से नीचे गेहूं खरीदा गया।
किसान कम मूल्य पर बेचने तैयार
विवाद के बाद अधिकारियों, व्यापारियों और किसानों के मध्य समझौता हुआ कि नान एफएक्यू का गेहूं किसान अपनी मर्जी से बेचेगा। किसानों को कहना है कि फसल बेचना उसकी मजबूरी है क्योंकि उसे मूंग की बोनी करना, खाद खरीदना, हार्वेस्टर के पैसे देना, भूसा मशीन के पैसे देना है। इटारसी मंडी में क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन के जिलाध्यक्ष हरपाल सिंह सोलंकी, यूथ विंग जिला अध्यक्ष अरुण पटेल, इटारसी तहसील अध्यक्ष बृजेश चौरे, इटारसी तहसील के उपाध्यक्ष सरवन पटेल, नीरज पटेल आदि उपस्थित रहे।
इनका कहना है….
गेहूं की कीमतों को लेकर कुछ विवाद था। व्यापारियों का कहना है कि नान एफएक्यू का गेहूं समर्थन मूल्य से ऊपर नहीं खरीद सकते। कुछ किसान समर्थन मूल्य पर बेचने की बात कर रहे थे। दोनों पक्षों को समझाईश दी और खरीदी प्रारंभ करायी गयी।
मदन सिंह रघुवंशी, एसडीओ राजस्व
कुछ किसान बिना स्लाट बुक किये आ गये थे, क्योंकि उनको पैसों की आवश्यकता थी। वे चाह रहे थे कि उनका माल समर्थन मूल्य पर बिके, लेकिन वह नान एफएक्यू था, कुछ देर विवाद के बाद दोनों पक्षों में समझौता कराके नीलामी प्रारंभ करा दी थी।
देवेन्द्र पटेल, विधायक प्रतिनिधि