इस तारीख के बाद नहीं करें मछली का शिकार, मुश्किल में पड़ सकते हैं
मानसून प्रारंभ होने के साथ ही बड़े-बड़े सरोवर, जलाशयों, नदियों में मछली के शिकार पर पाबंदी लगा दी जाती है। वर्षा ऋतु में मछलियां प्रजनन करके अपनी संख्या बढ़ाती हैं। मछलियों के अंडे पर रहने के दौरान उनका शिकार हो जाने से मछलियों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी और उत्पादन कम होगा, ऐसे में मछुआरों पर रोजी-रोटी का संकट आ सकता है, इसलिए हर वर्ष मानसून प्रारंभ होते ही मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लगाया जाता है। |
इटारसी। प्रदेश में 16 जून से 15 अगस्त तक मत्स्याखेट पर प्रतिबंध रहेगा। मत्स्य प्रजनन काल को ध्यान में रखते हुए 16 जून से 15 अगस्त 2022 तक प्रदेश में मत्स्याखेट पर निषेध किया गया है।
मछली पालन विभाग (Fisheries department) ने आदेश जारी कर सभी नदियों (rivers) और जलाशयों (reservoirs) पर मत्स्याखेट पर प्रतिबंध लागू किया है। छोटे तालाब (ponds) या अन्य स्त्रोत, जिनका कोई संबंध किसी नदी से नहीं है और जो निर्दिष्ट जल की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं उन पर यह नियम लागू नहीं होंगे।
गौरतलब है कि वर्षाकाल में मछलियों का प्रजनन काल होता है। वर्षा ऋतु (rainy season) में मछलियां अंडे देती हैं और प्रजनन करती हैं, ऐसे समय में मछली का शिकार करने से उनकी संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पाती है और मछुआरों को इससे रोजी-रोटी का संकट हो सकती है। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष वर्षाकाल में मछली के शिकार पर प्रतिबंध लगाया जाता है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन पर जिम्मेदारी होती है कि वे मत्स्याखेट, मत्स्य परिवहन और मछलियों के क्रय-विक्रय पर ध्यान रखें और इसके उल्लंघन पाये जाने पर कार्रवाई करें।