नर्मदापुरम। शिवार्चन समिति (Shivarchan Samiti) के तत्वावधान में सावन मास में होने वाले महारुद्राभिषेक में आज श्रावण सोमवार के उपलक्ष्य में शिवभक्तों (Shiv devotees) को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि संत का प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण होता है, इसकी महत्व को समझते हुए जो ज्ञान भक्ति उनसे अर्जित कर सकते हैं अर्जित कर लेना चाहिए।
थाली में अन्न भी नहीं छोडऩा चाहिए प्रयास करना चाहिए कि एक कण भी थाली में न छूटे। शिवपुराण (Shivpuran) के श्लोक की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जो व्यक्ति 41 दिन तक पारदेश्वर भगवान की नमक-चमक विधि से कुशा के रस से रुद्राभिषेक करता है भगवान उसके असाध्य रोग भी समाप्त कर देते हैं। तत्पश्चात आचार्य श्री ने कहा कि 41 दिन तक भगवान के 108 नाम से भगवान को बिल्वपत्र चढ़ाने मात्र से मनवांशित फल की प्राप्ति हो जाती है।
इसके पूर्व भगवान का हर-हर महादेव के जयकारे के मध्य रुद्राभिषेक किया। भगवान की संगीतमय स्तुतियों का गान किया तत्पश्चात भगवान का सुंदर श्रृंगार किया, भगवान की दिव्य भस्मारती एवं महाआरती की गई।