एनीमिया न समझें सिकल सेल को- राजेश पाराशर

Post by: Aakash Katare

इटारसी। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह (Collector Neeraj Kumar Singh) एवं जिला पंचायत सीईओ मनोज सरियाम (District Panchayat CEO Manoj Sariam) के मार्गदर्शन में जागरूकता कार्यक्रम मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में वर्षों से चली आ रही गंभीर आनुवंशिक बीमारी सिकल सेल के फैलाव को रोकने के लिए उत्कृष्ट विद्यालय के विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर केसला विकासखंड में जागरुकता गतिविधियां कर रहे हैं।

राजेश पाराशर ने बताया कि ये कार्यक्रम नर्मदापुरम कलेक्टर नीरज कुमार सिंह  (Collector Neeraj Kumar Singh) एवं जिला पंचायत सीईओ मनोज सरियाम (District Panchayat CEO Manoj Sariam) के मार्गदर्शन में कर रहे हैं। आज एकलव्य आदिवासी विद्यालय भरगदा (Eklavya Tribal School Bhargada) में आयोजित कार्यक्रम में पोस्टर मॉडल क्विज के माध्यम से सिकल सेल रोग के फैलाव की वैज्ञानिक जानकारी दी गई।

संभागीय उपायुक्त जेपी यादव (Divisional Deputy Commissioner JP Yadav) के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य एसके सक्सेना (Principal SK Saxena) ने की। राजेश पाराशर ने बताया कि राज्यपाल (Governor) के आह्वान पर यह जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें सिकल सेल के लक्षण, उपचार एवं फैलाव को रोकने की जानकारी दी जा रही है।

राजेश पाराशर ने बताया कि सिकल सेल रोगी दो प्रकार के होते हैं – एक रोगी और दूसरा वाहक। यदि माता पिता दोनो सिकल सेल रोगी हैं तो उनके सभी बच्चे सिकल सेल रोगी होंगे। अगर माता पिता में से एक रोगी और दूसरा सामान्य है तो बच्चे रोग वाहक होंगे। अतः सिकल सेल रोगी या वाहक किसी सामान्य पार्टनर से विवाह करेगा तो इस रोग का फैलाव रोका जा सकता है।

क्या हैं लक्षण-

राजेश पाराशर ने बताया कि इस जन्मजात बीमारी में रेड ब्लड सेल कठोर और चिपचिपी हो जाती है, और उनका आकार गोल न होकर हंसिया या सिकल की तरह हो जाता हैे। ये जल्दी नष्ट हो जाती है कई बार धमनियों में जम कर रक्त प्रवाह में रूकावट करती है जो कि दर्द के साथ जानलेवा भी हो जाता है। बीमारी का पता जन्म के एक साल के अंदर ही लग जाता है। संक्रमण, सीने में दर्द, जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।

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