ध्रुव की तपस्या से भगवान धरती पर आने को विवश हुए

ध्रुव की तपस्या से भगवान धरती पर आने को विवश हुए

इटारसी। भक्ति में शक्ति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ध्रुव चरित्र का है। राजा उत्तानपाद और सुनीति के पुत्र ध्रुव को जब सौतेली माता के वचनों से पीड़ा हुयी और वे विशेष पद की मंशा के साथ वन चले गए। तब सप्तऋषियों ने उन्हें भगवान की भक्ति कर ब्रम्हांड में विशेष स्थान प्राप्त करने का मार्ग दिखाया। ध्रुव ने ओम नमो भगवते वासुदेवाय महामंत्र का जाप प्रारंभ किया। जिससे इंद्र सहित देवी देवता भयभीत हो गए।

सभी ने विभिन्न प्रकार से ध्रुव की तपस्या भंग करने के प्रयत्न किए लेकिन ध्रुव एकाग्रचित्त होकर सिर्फ भगवान विष्णु के ध्यान में ही लगा रहा और किसी की ओर देखा तक नहीं। जब सब प्रकार के प्रयत्न विफल हो गए तब देवताओं को बड़ा भय हुआ और सब मिलकर श्रीहरि की शरण में गए। भगवान ने कहा आप देवतागण चिंतित न होइए, ध्रुव की तपस्या सिर्फ मुझे प्रसन्न करने के लिए है, और भगवान ने ध्रुव की कड़ी तपस्या से प्रसन्न होकर धरती पर आकर ध्रुव को दर्शन दिए। वरदान में देते हुए भगवान विष्णु बोले मेरे प्रिय भक्त ध्रुव, मैं तुझे वह निश्चल (ध्रुव) स्थान देता हू। जो सूर्य, चंद्र आदि ग्रहों, सभी नक्षत्रों और सप्तर्षियों से भी ऊपर है। तेरी माता सुनीति भी वहां तेरे साथ निवास करेगी और जो लोग प्रात:काल और संध्याकाल तेरा गुणगान करेंगे उन्हें महान पुण्य प्राप्त होगा।

उक्त प्रसंग द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर परिसर में पुरुषोत्तम मास में जारी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास पं दीपक मिश्रा ने व्यक्त किये। सावन के अधिक मास के अंतर्गत नर्मदांचल के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में जारी श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास पं दीपक मिश्रा ने ध्रुव चरित्र, अजामिल सहित अन्य प्रसंग कथा सुनायी। बता दें कि शुक्रवार को कृष्ण जन्म की कथा सुनायी जाएगी।

उल्लेखनीय है कि अपने पूज्य माता पिता स्वर्गीय दयाराम कुशवाहा एवं स्वर्गीय कलाबाई कुशवाहा की स्मृति में कथा के यजमान धनराज कुशवाह, प्रमोद पगारे एवं श्रीमती अनुराधा कुशवाहा एवं अमित दरबार, ने श्रीमद्भागवत पूजन के साथ व्यास पीठ पर विराजे पंडित दीपक मिश्रा का पुष्पहार से स्वागत किया। गायन एवं सिंथेसाइजर पर नारायण तिवारी, तबले पर विवेक परसाई, ऑक्टोपेड पर ओम तिवारी संगत दे रहे है। श्रीमद्भागवत का प्रसिद्ध मूल पाठ एवं प्रात: काल की पूजा पंडित आकाश शर्मा द्वारा कराई जा रही है। कथा के आयोजन में मंदिर समिति के प्रबंधक दिनेश का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।

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AUTHORRohit

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