सरकारी खरीदी शुरू नही, किसान परेशान, मंडी में नहीं मिल रहे दाम
इटारसी। फसल कटाई के बाद अब किसान अपनी उपज लेकर मंडी पहुंच रहे हैं। सरकार के साफ निर्देश हैं कि कोई भी व्यापारी तय समर्थन मूल्य से कम दाम पर किसानों की उपज नहीं लेगा, साथ ही बिचौलियों की मनमानी नहीं चलेगी, बावजूद इसके मंडी में किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
ऐसा ही मामला शनिवार को मंडी परिसर में देखने को मिला जब करीब 40 ट्राली गेहूं एवं 200 बोरा चने की आवक हुई। सुबह से किसान अपनी उपज की नीलामी शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन लाइसेंसी व्यापारियों ने नमूने देखने के बाद समर्थन मूल्य के बराबर कीमत पर उपज लेने से इंकार कर दिया, किसानों के नमूने हाथ में लेकर कमियां बताकर रिजेक्ट कर दिया गया। उपज न बिकने से परेशान किसान आखिरकार बैरंग अपने गांव को लौट गए। किसानों ने कहा कि हमें हार्वेस्टर-कटाई, भूसा बनाने के लिए रुपयों की जरूरत है, मूंग की बोवनी के लिए तैयारी करना है, इस वजह से नगद पेमेंट चाहिए, लेकिन मंडी में व्यापारी अच्छे दाम नहीं दे रहे हैं।
ग्वाड़ी के किसान विकास भारके, लोहारिया के रघुवीर सिंह, पांजरा के जीवनलाल चौरे ने बताया कि शनिवार सुबह ही हम अपनी उपज लेकर मंडी पहुंच गए थे, यहां व्यापारी और नीलामी अधिकारी आए उपज देखने के बाद व्यापारियों ने उपज लेने से मना कर दिया। अब दो दिनों तक मंडी बंद रहेगी, मंगलवार तक यहां रूकना मुश्किल है, मजबूरी में ट्रालियां लेकर हम वापस गांव जा रहे हैं। समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 25 मार्च की तारीख तय हुई थी, लेकिन सरकार ने इसे आगे बढ़ा दिया, अभी समितियों में पोर्टल पर पंजीयन करने के बाद सिर्फ स्लाट मिल रहे हैं, ऐसे में रुपयों की जरूरत कैसे पूरी करेंगे। समर्थन खरीदी पर फसल बेचने के बाद भुगतान भी तुरंत नहीं होगा, इससे हमारी परेशानी होगी।
मूंग की तैयारी जरूरी
किसानों ने बताया कि मंडी में उपज बिकने के बाद हमें मूंग तैयारी में जुटना पड़ेगा, खेत तैयार कर बोवनी में समय लग जाएगा, नहरों से लगातार तवा विभाग पानी छोड़ रहा है, यदि इसमें देरी हो गई तो मूंग की तीसरी फसल भी समय पर नहीं कर पाएंगे, इसी वजह से किसान चाह रहे हैं कि जल्दी उनकी उपज बिक जाए, देरी हुई तो नहरों का पानी नहीं मिल सकेगा।
यह तय किए गए हैं दाम
सरकार ने मंडी में गेहूं के लिए 2125 रुपये, चने के लिए 5335 रुपये एवं सरसों के लिए 5450 रुपये के दाम तय किए हैं, लेकिन मंडी में किसानों को इतनी कीमत मिलना मुश्किल दिख रहा है। व्यापारियों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनाज का बाजार ठीक न होने के कारण इतनी ज्यादा दर पर अनाज लेना मुश्किल है, यदि मांग बढ़ेगी तो दाम बढ़ेंगे, लेकिन अभी सरकारी दर पर उपज लेना घाटे का सौदा हो सकता है।
भाव नहीं मिले
शासन के निर्देश हैं कि मंडी में व्यापारी निर्धारित समर्थन मूल्य से कम में खरीदी नहीं करेंगे। शनिवार को चना-गेहूं की आवक हुई थी, लेकिन नमूने देखने के बाद व्यापारियों ने खरीदी नहीं की, सरकारी खरीद के संबंध में शासन स्तर से कार्रवाई होगी। नीलामी प्रारंभ की गई थी, व्यापारियों का कहना है कि बाजार में दाम न होने के कारण अधिक कीमत नहीं दे सकते। मंडी में एक समिति समर्थन मूल्य खरीदी करेगी, बाकी समितियों के लिए वेयर हाउस में प्रबंध किए जा रहे हैं।
केसी बामलिया, प्रभारी मंडी सचिव